ये भी पढ़ें: एमपी के 4 बड़े शहरों में मोहन सरकार बना रही मकान, आप भी बन सकते हैं प्रॉपर्टी मालिक सीबीआइ का आरोप है कि सरकारी अफसर, बिचौलिए और कॉलेज के प्रमुख मिलकर आपराधिक साजिश रच रहे थे। वे गोपनीय दस्तावेजों की तस्वीरें लेकर बिचौलियों के जरिए निजी कॉलेजों तक पहुंचा रहे थे।
एफआइआर में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चांसलर और पूर्व यूजीसी अध्यक्ष डीपी सिंह का नाम है। इसके अलावा इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया और उदयपुर के गीतांजलि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार मयूर रावल के नाम भी सामने आए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की शिकायत पर जांच
अहमदाबाद. सीबीआइ ने पीसीआइ के अध्यक्ष मोंटू कुमार पटेल पर फार्मेसी कॉलेजों के निरीक्षण और अनुमोदन प्रक्रियाओं में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के लिए मामला दर्ज किया है। पटेल के खिलाफ कार्रवाई प्रारंभिक जांच (पीई) के निष्कर्षों के आधार पर की गई है। जांच में पता चला था कि उन्होंने कॉलेजों को मंजूरी देने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार, नियंत्रण और हेरफेर किया। सीबीआइ ने उनके खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की शिकायत के आधार पर जांच और छापेमारी की कार्रवाई।
कैसे काम करता था रिश्वत का नेटवर्क?
गुड़गांव का वीरेंद्र कुमार एनएमसी के वरिष्ठ अधिकारी जीतू लाल मीना से जुड़ा था और रिश्वत वसूलने में मध्यस्थ था। रिश्वत के पैसे हवाला के जरिए पहुंचाए जाते थे। मीना ने इस पैसे के कुछ हिस्से को राजस्थान में एक मंदिर निर्माण में लगाया, जिसकी लागत करीब 75 लाख रुपए बताई गई है। वीरेंद्र कुमार का नेटवर्क आंध्र प्रदेश, हैदराबाद और विशाखापत्तनम तक फैला था। वहां उसके साथी नकली शिक्षकों की व्यवस्था करते थे और कॉलेजों को मंजूरी दिलवाते थे। एक कॉलेज डायरेक्टर से 50 लाख रुपए लिए गए, जिसमें से कुछ रकम कुमार को दी गई।
कुमार का कारोबार आंध्र प्रदेश के अपने सहयोगी बी. हरि प्रसाद के माध्यम से दक्षिण भारत में फैला हुआ था। प्रसाद हैदराबाद में अपने साझेदारों अंकम रामबाबू और विशाखापत्तनम में कृष्ण किशोर के साथ नकली शिक्षकों की व्यवस्था करने और रिश्वत के बदले अनुमोदन हासिल करता था।
सीबीआई रिपोर्ट में खुलासा, सुरेश भदौरिया ने किया ऐसा फर्जीवाड़ा, फरार
सीबीआइ ने मान्यता घोटाले में
इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। भदौरिया डर से भूमिगत हो गया है। मान्यता घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ की कई टीमों ने शुक्रवार को शहर में दबिश दी। एजेंसी के आधा दर्जन से अधिक सदस्यों ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के रजिस्ट्रार महाकाल चंदेल के तीन ठिकानों समेत कॉलेज प्रबंधन से जुड़े अन्य लोगों के ठिकानों पर सर्चिंग की।
भदौरिया की तलाश में भी छापेमारी की, पर सुराग नहीं मिला। सीबीआइ जांच में साफ हुआ है कि भदौरिया सहयोगियों के साथ मिलकर कॉलेज में घोस्ट फैकल्टी और फर्जी डिग्री का रैकेट चला रहा था। वह सरकारी विभाग और मंत्रालयों के अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर बड़ी रकम का लेन-देन कर मान्यता दिलाने का खेल खेल रहा था।
पहले मिल जाती थी गोपनीय जानकारी
स्वास्थ्य मंत्रालय के चंदन कुमार समेत अन्य की भदौरिया से सांठगांठ थी। उसे मान्यता संबंधी निरीक्षण, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि की गोपनीय जानकारी मिल जाती थी। इस आधार पर वह डील करता था। फिर मान्यता के लिए बड़े सरकारी विभाग के अफसरों को हवाला के जरिए घूस देता था।
फर्जी डिग्री दी
भदौरिया मालवांचल विवि संचालित करने वाली मयंक वेलफेयर सोसायटी का अध्यक्ष भी है। अपात्रों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री दी। स्वास्थ्य मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव, चंदन कुमार ने घूस लेकर कॉलेजों को अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी किया।
अस्थायी को बताया स्थायी फैकल्टी
भदौरिया ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में डॉक्टरों-कर्मियों को अस्थायी तौर पर नियुक्त किया। कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की न्यूनतम मानकों को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थायी फैकल्टी बताया। बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में हेरफेर करने उनके क्लोन फिंगर इम्प्रेशन बनवाकर अपने पास रखे। अनुपस्थिति में भी उपस्थित दिखाया।