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भोपाल

अब तमिल, तेलुगु सहित कई भाषाओं की भी होगी पढ़ाई, मोहन सरकार का फैसला

NEP 2020: तमिलनाडु में हिंदी भाषा पढ़ाए जाने को लेकर लगातार हो रहे विरोध के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के सभी कॉलेजों में हिंदी और अंग्रेजी के अलावा तमिल, तेलुगु, मराठी सहित अन्य भारतीय भाषा पढ़ाई जाएगी।

भोपालApr 01, 2025 / 11:39 am

Akash Dewani

MP government will teach other Indian languages ​​including Tamil and Telugu in all the colleges of state apart from Hindi and English
NEP 2020: मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए राज्य के कॉलेजों में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल करने का फैसला किया है। अब छात्र बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल, गुजराती और पंजाबी जैसी भाषाओं में भी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। राजधानी भोपाल में विचार-विमर्श सत्र के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की मौजूदगी में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस निर्णय को लेकर उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘भाषाएं जोड़ती हैं, तोड़ती नहीं। सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी हैं।’ परमार ने बताया कि मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय अब विभिन्न भारतीय भाषाओं की पढ़ाई का अवसर देंगे। इससे न केवल छात्रों की भाषाई जानकारी बढ़ेगी बल्कि राज्य को भाषाई विविधता का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
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शिक्षा में नई पहल

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लागू होने के बाद मध्य प्रदेश ने उच्च शिक्षा में बदलाव को सबसे पहले अपनाया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने एनईपी 2020 को लागू किया गया था।

तमिलनाडु में विरोध, मध्य प्रदेश में स्वागत

जहां एक ओर त्रिभाषा सूत्र को लेकर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश ने इसे उत्साहपूर्वक अपनाया है। तमिलनाडु के राज्यसभा सांसदों ने केंद्र पर दक्षिणी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। वहीं, मध्य प्रदेश ने इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा है, जहां छात्रों को बहुभाषी शिक्षा का मौका मिलेगा।

क्या अन्य राज्य भी अपनाएंगे इस पहल को?

मध्य प्रदेश के इस कदम से शिक्षा में बहुभाषी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। राज्य ने इसे सांस्कृतिक समृद्धि के रूप में प्रस्तुत किया है। क्या अन्य राज्य भी इस पहल से प्रेरणा लेंगे या फिर राजनीतिक खींचतान जारी रहेगी? आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा।

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