इसके लिए ऐसा ऑनलाइन पे-रोल बनाया जाए जिसमें कर्मचारी का वेतन डाल दें। इसमें से उसकी पात्रता के अनुसार कर्मचारी बीमा, पीएफ, टीडीएस आदि की कटौती होकर श्रम, पीएफ और आयकर को चली जाए और इसके बाद वेतन कर्मचारी के खाते में आ जाए।
बार-बार न भरना पड़े रिटर्न
उद्योगपतियों को बार-बार इसका रिटर्न न भरना पड़े। सभी तरह की अनुमतियां फेसलैस होना चाहिए। टास्क फोर्स की प्रमुख और केंद्रीय टेक्सटाइल विभाग की सचिव नीलम शमी राव ने टीम के साथ अधिकारियों और उद्योगपतियों के साथ बैठकें कीं। इनमें प्रमुख सचिव उद्योग राघवेन्द्र कुमार सिंह, एमपीआइडीसी के एमडी चंद्रमौलि शुक्ला भी शामिल हुए। फिक्की के शांतनु त्रिपाठी और कुनाल ज्ञानी आदि उद्योगपतियों ने बताया कि सभी अधिकारियों ने उद्योगपतियों की समस्याओं पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए जल्द इनका समाधान करने का आश्वासन दिया है।
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उद्योगपतियों ने यह दिए सुझाव
उद्योगों की अनुमतियों की प्रक्रिया फेसलैस होना चाहिए। कार्यालयों में जाने की जरूरत नहीं होना चाहिए। औद्योगिक क्षेत्र से बाहर यदि उद्योगों की लाइन बनाई जाती है तो अभी आसानी से बिजली नहीं मिलती है। उद्योग लगाने वालों को ही वहां तक विद्युत लाइन लाने का खर्च उठाना पड़ता है। इसकी व्यवस्था सुगम होना चाहिए। एक बार फैक्ट्री एक्ट में उद्योग का पंजीयन हो जाने पर उसे फायर एनओसी की जरूरत नहीं होना चाहिए। सीपीसीबी की गाइडलाइन अनुसार ग्रीन और व्हाइट श्रेणी के उद्योगों को बार-बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्टिफिकेट लेने की अनिवार्यता खत्म होना चाहिए।
उद्योगों से अभी दोहरा टैक्स वसूला जा रहा है। उद्योग विभाग के साथ नगरीय निकाय भी टैैक्स लेते हैं। दोहरा टैक्स खत्म होना चाहिए।