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हनुमंत कथा के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री(Pandit Dhirendra Shastri) अपने पुराने दिन को याद करते हुए काफी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि हमारे पिता को कोई भी शादी में नहीं बुलाता था। परिवार वाले शादी के कार्ड में मेरे पिता का नाम तक नहीं लिखते थे। क्योंकि हम गरीब थे। फटे कपड़े पहनकर चले जाते तो उनकी इज्जत चली जाती। इतने के बाद भी मेरी मां कहती थी कि तुम राम को मत छोड़ना, हमारे अच्छे दिन भी आएंगे।’
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वहीं धीरेंद्र शास्त्री(Pandit Dhirendra Shastri) ने आगे कहा कि, दुनिया में उसी को इज्जत मिलती है जो फेमस, अमीर या नेता होते हैं। साधारण व्यक्ति को कोई नहीं पूछता। गरीब तो सिर्फ ताली बजाने के लिए होते है। ये दिन हमने अपनी आंखों से देखा है, गरीब के सिर्फ परमात्मा होते है।’ इस दौरान बाबा बागेश्वर ने एक शायरी भी सुनाई। उन्होंने कहा-‘मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले, मैं खुद को ढूंढता था इस जिंदगी से पहले।’