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विकसित भारत के लिए मध्यप्रदेश देगा दो ट्रिलियन डॉलर का योगदान आयुष्मान कार्डधारक मरीज दोहरे रवैये के शिकार
प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में प्रतिदिन आयुष्मान कार्डधारक(Ayushman card holder) मरीज ऐसे दोहरे रवैये के शिकार हो रहे हैं। कई निजी अस्पतालों ने नाममात्र के लिए कुछ तरह के प्रोसीजर की मान्यता ले रखी है। वे जटिल और बड़ी सर्जरी आयुष्मान में नहीं कर रहे। इसके पीछे पैकेज की राशि कम होना बताया जा रहा है। कई छोटे अस्पताल आयुष्मान योजना का पैसा निकालने के लिए बिना जरूरत जांचें और आइसीयू, वेंटिलेटर आदि का उपयोग मरीजों पर कर रहे हैं।
आयुष्मान मरीजों के साथ अलग व्यवहार
आयुष्मान कार्ड धारकों को 5 लाख तक नि:शुल्क इलाज की पात्रता है। इसके बावजूद कई निजी अस्पताल योजना से कन्नी काट रहे हैं। जहां इलाज हो भी रहा है तो वहां भुगतान करने वाले या हेल्थ इंश्योरेंस वाले मरीजों को अलग सुविधाएं दी जाती हैं। आयुष्मान वाले मरीजों के साथ अलग व्यवहार किया जा रहा है। परिजन शिकायतें भी कर रहे हैं, लेकिन तत्काल राहत नहीं मिल रही। ये भी पढ़े –
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हाल ही में प्रदेश के कुछ निजी अस्पतालों में बिना जरूरत मरीजों को आइसीयू में भर्ती कर मोटी रकम निकालने का फर्जीवाड़ा सामने आया था। इसके बाद भोपाल, ग्वालियर और सीहोर के 8 निजी अस्पतालों की मान्यता रद्द कर दी गई थी।
एसओपी नहीं बनी
आयुष्मान कार्यालय नई एसओपी पिछले छह महीने से बना रहा है, लेकिन अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। इसके तहत अस्पतालों के क्लेम सेटलमेंट, मरीजों की शिकायतों, इलाज की गुणवत्ता पर आधारित मानक तय किए जा रहे हैं। शिकायतों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी की बैठक में पैकेज संबंधी समस्या को रखा जाएगा।– डॉ. योगेश भरसट, सीईओ आयुष्मान निरामयम मप्र