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भोपाल

मोबाइल, लैपटॉप की ब्लू लाइट से हो सकता है जानलेवा कैंसर

Side Effects of Blue Light: जानलेवा कैंसर बीमारी के कई प्रकार और इसके होने के अनेक कारण हैं। अधिकतर लोग सोचते हैं कि कैंसर सिर्फ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने या व्ययाम नहीं करने से होता है। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि मनुष्य का शरीर 24 घंटे एक चक्र सर्केडियन रिद्म में काम करता है।

भोपालJun 07, 2025 / 09:04 am

Avantika Pandey

Side Effects of Blue Light

Side Effects of Blue Light (फोटो सोर्स: एआई जेनरेटेड)

Side Effects of Blue Light: जानलेवा कैंसर बीमारी के कई प्रकार और इसके होने के अनेक कारण हैं। अधिकतर लोग सोचते हैं कि कैंसर सिर्फ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाने या व्ययाम नहीं करने से होता है। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि मनुष्य का शरीर 24 घंटे एक चक्र सर्केडियन रिद्म में काम करता है। यह नींद, हार्मोन और जरूरी शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करती है। रात में मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। देर रात तक स्क्रीन देखने यह चक्र बिगड़ जाता है और शरीर का सिस्टम असंतुलित हो जाता है। इससे मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करता है।
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ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और आंत के कैंसर का खतरा अधिक

रात में लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से से ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलन (आंत) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ताजा अध्ययन के अनुसार, कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने से पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा दोगुना और महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा 50त्न बढ़ जाता है। औद्योगिक क्षेत्र में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पांच गुना ज्यादा होता है, क्योंकि वहां रात में ज्यादा लाइट का उपयोग होता है। नाइट शिट में काम करने वालों को ज्यादा खतरा होता है। 2021 की एक अध्ययन में खुलासा हुआ, रात में लाइट के संपर्क से थायरॉइड कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। रात में ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से आपकी ऊर्जा कम होती है, जिससे दिन भर में थकान महसूस कर सकते हैं।

मोबाइल देखना बंद कर दें

इस तरह के कैंसर कृत्रिम रोशनी में रहने और नींद पूरी नहीं होते होता है। इस लिए इससे बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि सोने से दो घंटे पहले से मोबाइल देखना बंद कर दें। सूर्य ढलने के बाद घर की लाइट धीमी रखें। हर दिन एक तय समय पर सोने और उठने की आदत बनाएं। मोबाइल में नाइट मोड ऑन करें या पीली लाइट वाले चश्मे लगाएं और सोने का कमरा शांत, हल्का अंधेरा और आरामदायक रखें। –डॉ. अंकित जैन, असि. प्रोफेसर, सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट, एम्स

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