श्रीडूंगरगढ़ से करीब 5 किलोमीटर बिग्गा की ओर दोपहर करीब 3.50 बजे एक कैंपर गाड़ी उनकी गाड़ी के पीछे हो गई। कैंपर में सात लोग सवार थे। कैंपर से आरोपियों ने बार-बार उनकी गाड़ी रुकवाने का प्रयास किया। उसने बचने का प्रयास किया, लेकिन आरोपियों ने उसकी गाड़ी को टक्कर मारकर आगे कैंपर गाड़ी लगा कर स्कॉर्पियो को रुकवा लिया। कैंपर से तीन-चार लोग उतर कर आए।
इनमें दो लोग हेमासर निवासी कन्हैयालाल व तेजरासर निवासी रामस्वरूप पुत्र लिछीराम गाट थे। आरोपी कन्हैयालाल के हाथ में पिस्तौल थी, उसने परिवादी को पीछे की सीट पर डाल दिया व रामस्वरूप गाड़ी चलाने लगा। आरोपियों ने उसकी गाड़ी को बीकानेर की ओर घुमा लिया तथा लखासर तक वापस लेकर आए व रास्ते में बेटे और भागीरथ सहित उसके साथ मारपीट की। बाकी लोग कैंपर में उनके पीछे ही थे।
लखासर से एक कच्चे रास्ते से सूनसान खेत में ले गए। वहां पिस्तौल से डराकर 15 लाख रुपए देने व नहीं देने पर जान से मारने की धमकियां दी। परिवादी ने घबरा कर अपने भाई से बात करवाने व रूपए मंगवाने की बात कही। आरोपियों ने उसके भाई को फोन लगाकर धमकाया कि रुपए लेकर आओ, नहीं तो तुहारे भाई व भतीजे को जान से मार देंगे।
परिवादी ने थोड़ा समय देने की बात कही, आरोपी उसे एक सुनार के यहां ले गए और उसके गले मे पहने दो सोने के चेन जबरन खुलवाकर तोल करवाया। सोने के चेन केवल 6 लाख की होने और शेष रुपए मंगवाने की धमकी दी। आरोपी उन्हें स्कोर्पियो में सेरूणा की ओर ले गए।
जहां पुलिस नाकाबंदी में स्कोर्पियो व कैंपर गाड़ी को रुकने का इशारा किया, तो आरोपी रामस्वरूप ने उसकी गाड़ी से पुलिस की गाड़ी को टक्कर मार दी। पुलिस ने पीछा कर उसकी गाड़ी रुकवाई और तीनों को आजाद करवाया। पुलिस ने कन्हैयालाल, रामस्वरूप व तेजरासर निवासी मोहित जाट को मौके पर ही पकड़ लिया और बाकी आरोपी मौका पाकर भाग गए।
पुलिस की सक्रियता से पकड़े गए आरोपी
थानाधिकारी जितेंद्र स्वामी ने बताया कि अपहरण की सूचना मिलने पर सीओ निकेत पारीक के निर्देश पर अलग-अलग टीमों का गठन करके आरोपियों का पीछा किया गया। एएसआई राजकुमार के नेतृत्व में गठित टीम ने पीछा करके सेरूणा थाना क्षेत्र में आरोपियों को धर दबोचा और अपह्त तीनो लोगों को छुड़वाया। सीओ निकेत पारीक ने बताया कि तेजरासर निवासी रामस्वरूप गाट नापासर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। अपहरणकर्ताओं को पकड़ने में सेरूणा थानाधिकारी पवन शर्मा, हेड कांस्टेबल राजकुमार विश्नोई, कांस्टेबल आनंद कुमार, अनिल मील, इंद्रचंद व चालक रामनिवास की सक्रिय भूमिका रही।