पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 19 मई 2023 को लूणकरनसर झील सहित चारों झीलाें व तालाबों को इंटीग्रेटेड वेटलैंड घोषित किया था। राज्य सरकार ने सालभर पहले गजट में इसका प्रकाशन भी कर दिया। परन्तु अभी तक इन स्थानों पर वेटलैंड के बोर्ड लगाने से ज्यादा कुछ भी नहीं किया गया है। गजट में प्रकाशन के साथ ही इनके कैचमेंट एरिया में इको सिस्टम बिगाड़ने की गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गई। फिर भी यहां कचरा, मृत पशु तथा गंदगी डाली जा रही है। कैचमेंट एरिया में भी नियमों की धिज्ज्यां उड़ रही हैं।
आंखों देखी…
लूणकरनसर झील: मृतपशुओं की डम्पिंग और गंदे पानी का भराववेटलैंड मार्किंग: बाउंड्री एरिया- 320 हैक्टेयर, कैचमेंट एरिया- 92.57 हैक्टेयर लूणकरनसर खारे पानी की झील से तैयार नमक कभी पूरे संभाग में रसोई में काम आता था। इस भूमि के आस-पास जीवों और पक्षियों की फूडचेन का इको सिस्टम विकसित था। आज भी यहां कुरजां सहित कई प्रवासी पक्षी पानी में कलरव करने और भरपेट भोजन की तलाश में आते हैं। परन्तु बदहाली के चलते पक्षियों की चहचहाट कम सुनाई दे रही है। पत्रिका टीम झील पर पहुंची, तो इस झील में नाम मात्र पानी मिला। वह भी सीवरेज का गंदा और दुर्गंधयुक्त पानी ही था। हाइवे की तरफ मृत पशु झील में पड़े दिखे। यह पशुओं और कचरे की डंपिंग साइट जैसा दिखा। कैचमेंट एरिया से झील में वर्षा जल प्रवाह मार्ग अवरुद्ध पड़े हैं। नमक बनाने की मिलीं कुछ क्यारियां इसके पुराने वैभव की कहानी बयां कर रही थीं। देवीकुंड सागर: झाडि़यों से घिरा, पानी की जगह कचरे से अटावेटलैंड मार्किंग: बाउंड्री एरिया- 1.79 हैक्टेयर, कैचमेंट एरिया- 8.25 हैक्टेयर रियासत काल में बने देवीकुंड सागर में वर्षा जल भंडारण होता रहा है। पास बने मंदिरों में आज भी बीकानेर के लोगों की धार्मिक आस्था है। तालाब के पानी पर बने भवन शीतल हवा के लिए पहचान रखते थे। यहां खंडहरनुमा भवनों में सैकड़ों चमगादड़ लटके मिल जाएंगे। बारिश के दौरान आस-पास के क्षेत्र से पानी यहां तालाब में आता था। अब पानी आने के रास्ते अवरुद्ध पड़े हैं। तालाब कचरे और गंदगी से अटा पड़ा है। चारों तरफ कंटीली झाडि़यां फैल चुकी हैं। जीव-जंतुओं और पक्षियों का इको सिस्टम तहस-नहस हो चुका है।
सूरसागर: कैचमेंट एरिया में नाला, सड़क और निर्माणवेटलैंड मार्किंग: बाउंड्री एरिया 2.73 हैक्टेयर, कैचमेंट एरिया 9.55 हैक्टेयर जूनागढ़ के सामने बने सूरसागर का जीर्णोद्धार कराने के नाम पर बीस साल के दौरान अफसरों ने करोड़ों रुपए डकारे हैं। सरकारी मशीनरी के लिए यह कमाई का सागर बना हुआ है। वेटलैंड के रूप में नोटिफाइड कर बोर्ड लगा दिया गया है। इसके मार्किंग एरिया में गंदे पानी के नाले और पक्के निर्माण भी हैं। यहां जलसंग्रह की व्यवस्था नहीं की होने से यह सूखा पड़ा है। बारिश के दौरान गंदा पानी इसमें भर जाता है। एक तरफ की दीवार काफी समय से क्षतिग्रस्त है।
एरिया मार्किंग कर बोर्ड लगाए
वेटलैंड का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन प्राचीन जलस्रोत्रों पर वेटलैंड के बोर्ड लगाकर इनका क्षेत्र चिह्नित किया गया है। इनके संरक्षण और विकास के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। सरकार से बजट जारी होने पर इन स्थानों पर कार्य कराए जाएंगे। -शरद बाबू, आईएफएस, डीएफओ बीकानेर
सरकार से लेंगे बजट
बेटलैंड घोषित होने से इन प्राकृतिक जल स्रोत्रों का संरक्षण हो सकेगा। राज्य सरकार से इनके लिए बजट जारी करने के लिए वन विभाग एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। वेटलैंड इको सिस्टम बनाने के कार्य शुरू कराने के प्रयास किए जाएंगे। – सुमित गोदारा, कैबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार