शिव-पार्वती के अनोखे श्रृंगार पुजारी मोहित सेवग के अनुसार, सावन सहित वर्षभर यहां भक्त महादेव का विभिन्न स्वरूपों में श्रृंगार करते हैं। इनमें दूल्हा-दुल्हन, कृष्ण-राधिका, कैलाशपति शिव-पार्वती और राठौड़ी रूप में साफा और मूंछों वाला श्रृंगार शामिल है। यह श्रृंगार न सिर्फ आंखों को आकर्षित करता है, बल्कि शिव की भक्ति को भी जीवंत कर देता है।
छह मंदिर, एक परिसर करीब 175 साल पहले बने इस मंदिर परिसर में भगवान गौरी शंकर महादेव, भगवान बद्रीनाथ मंदिर, भगवान सखी गोपाल (कृष्ण) मंदिर, भगवान सूर्य मंदिर, भगवान गोवर्धन नाथ मंदिर, भगवान रिद्धि-सिद्धि गणेश मंदिर स्थापित हैं। मंदिरों में दीवारों पर पुरानी चित्रकारी आज भी मौजूद है, जो स्थापत्य और कला का बेजोड़ उदाहरण है। श्रावण मास में इस मंदिर में विशेष पूजा, भजन और रुद्राभिषेक आयोजित किए जा रहे हैं।
मूर्ति का स्वरूप: शिव के हर रूप का समागम भगवान शंकर के सिर पर जटा और गंगा, गले और भुजाओं पर सर्प, कानों में कुंडल, हाथों में डमरू और माला सिर पर मावड़ और साफा, ललाट पर त्रिपुंड, और मूंछों वाला राठौड़ी श्रृंगार
गोद में माता पार्वती, जिनके एक हाथ में शिवलिंग, साथ में सिंह, नंदी और पावन गणेश भी विराजित मूर्ति के दोनों ओर 12-12 शिवलिंग, कुल 26 शिवलिंगों की स्थापना ऐसे पहुंचते हैं मंदिर तक
जयपुर रोड पर हल्दीराम प्याऊ से दायीं ओर सागर की तरफ जाने वाले मार्ग पर देवीकुण्ड सागर स्थित है। सागर की छतरियों के ठीक सामने की ओर देवीकुण्ड सागर परिसर में प्राचीन तालाब और तालाब के घाटों पर मंदिर स्थापित हैं। इन मंदिरों में नया छ: मंदिर भी है।
मंदिर तक पहुंचने का google लोकेशन लिंक – https//maps.app.goo.gl/Bnn9XGfwySapD5T26