महंगी कीमत और अव्यवहारिक आय की शर्तें
बीडीए ने भूखण्ड की कीमत 15 से 20 लाख रुपए तक तय की है, लेकिन आवेदन के लिए सालाना 12 से 20 लाख रुपए आय होने की शर्त रखी है। यह शर्त मध्यम वर्ग के लिए भारी पड़ रही है। बैंक से लोन लेकर भूखण्ड खरीदना संभव है, लेकिन बीडीए की आय संबंधी शर्तें उन्हें कटघरे में खड़ा करती हैं। इस वजह से आम लोग योजना से दूर भाग रहे हैं।
17 साल बाद भी अधूरी बुनियादी सुविधाएं
पत्रिका टीम ने जोड़बीड़ क्षेत्र का निरीक्षण किया, जो शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर है। वहां आज भी केवल मुख्य सड़क पर बिजली लाइन है। बाकी इलाके में बजरी बिछी अधूरी सड़कों के अवशेष, कंटीली झाड़ियां और जहरीले जीवों का डेरा है। रेलवे लाइन के पार मृत पशुओं का डम्पिंग यार्ड है, जहां खुंखार कुत्ते और सर्दियों में हजारों गिद्ध रहते हैं। 17 साल पहले यूआईटी ने करोड़ों रुपए लेकर भूखण्ड और मकान बेच दिए, पर मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं किया गया, इसलिए कोई परिवार यहां नहीं बस पाया।बीडीए भवन से भ्रम फैलाने की कोशिशशहरवासियों के विरोध के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने शहर से दस किलोमीटर दूर जोड़बीड़ में बीडीए भवन बनाकर कार्यालय वहां ले जाने का फैसला किया। इसका विधायकों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक ने विरोध किया। ऐसे में आनन-फानन में बीडीए ने भवन का निर्माण शुरू कर ‘कमिंग सून…बीडीए ऑफिस’ का बोर्ड खड़ा कर दिया। यह जोधपुर-जयपुर बाइपास पर जोड़बीड़ में घुसते ही है। इससे आगे बढ़ने पर वीरान और जंगल जैसा नजारा है। करोड़पति लोगों को झांसे में लेने के लिए कुछ नई सड़कें जरूर बनाई गई हैं।
आरक्षित दरें बढ़ाकर दो गुना कीं
बीडीए ने भूखण्ड आवंटन से पहले जोड़बीड़ की आरक्षित दर को लगभग दोगुना कर दिया है। पहले यह 475 रुपए प्रति वर्ग फीट थी, जिसे बढ़ाकर 980 रुपए कर दिया गया। अब 1500 वर्ग फीट के भूखण्ड की कीमत लगभग 15 लाख रुपए पहुंच गई है। बावजूद इसके खरीददार की आय 12 से 18 लाख रुपए सालाना होना जरूरी कर दी गई है। इससे मध्यम वर्ग तक योजना की पहुंच लगभग खत्म हो गई है।
दिन भर रही हलचल, सूंघ रहे साजिश
राजस्थान पत्रिका की ओर से बुधवार के अंक में ‘गरीब और मध्यम वर्ग के अरमानों पर पानी, अमीरों और भूमाफिया के लिए बीडीए के भूखण्ड’ शीर्षक से प्रकाशित खबर से दिनभर हलचल रही। स्थानीय लोग इस योजना को ‘जिंदा मक्खी निगलाने’ जैसा करार दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि इस योजना के पीछे बड़ी प्रॉपर्टी कंपनियों को भूखण्ड दिलाने की मंशा हो सकती है। बाजार में मंदी के कारण बड़े डवलपर्स की बिक्री प्रभावित है, इसलिए 1600 परिवारों के जोड़बीड़ में बसने से उनका व्यापार ठप हो सकता है। ऐसे में अधिकारियों ने जानबूझकर अव्यवहारिक शर्तें लगाकर योजना को ध्वस्त करने की कोशिश की है।