Chhattisgarh News: अनिवार्य योग्यता को हटाना एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध
भर्ती प्रक्रिया में शामिल कुछ आवेदकों ने
हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ-साथ बीएड या डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) उत्तीर्ण थे। उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण की थी। याचिकाकर्ताओं ने 5 मार्च 2019 की राज्य अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें अनिवार्य बीएड की आवश्यकता को हटा दिया गया था।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षकों के लिए योग्यता के बारे में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन द्वारा अनिवार्य योग्यता को हटाना एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की छूट शैक्षिक मानकों को कमजोर करती है। अप्रशिक्षित व्यक्तियों को पढ़ाने की अनुमति मिलने पर शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
राज्य शासन का तर्क- कृषि शिक्षकों की कमी दूर करने छूट दी
राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता और एनसीटीई के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कि राज्य में कृषि शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए नियमों में ढील देना आवश्यक था। कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न यह था कि क्या कोई राज्य सरकार शिक्षक योग्यता मानक में ढील दी सकती है, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1993 के तहत एनसीटीई द्वारा निर्धारित किए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अधिनियम की धारा 12-ए और 32 के तहत, एनसीटीई विशेष रूप से शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करता है, और राज्य सरकारें इन आवश्यकताओं को एकतरफा नहीं बदल सकतीं।
राज्य सरकार को नियमों में संशोधन के निर्देश
Chhattisgarh News: निर्णय में
छत्तीसगढ़ सरकार को अपने नियमों को संशोधित करने का निर्देश दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षकों के लिए बी.एड. अनिवार्य योग्यता योग्यता बनी रहे। साथ ही कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को शिक्षक (कृषि) के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड. की अपेक्षित योग्यता को शामिल करने और 2014 के नियमों के प्रावधानों के अनुसार ही आगे की प्रक्रिया करने के निर्देश दिए।