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बिलासपुर

Patrika Mahila Suraksha: कब बदलेंगे हालात! कामकाजी महिलाओं ने पत्रिका से साझा किए अनुभव कहा- डर के साये में जी रहे थे

Patrika Mahila Suraksha: बिलासपुर जिले निजी अस्पताल में दो नर्स भिलाई के स्मृति नगर में किराए के मकान में रहती थीं। यही समस्या बिलासपुर की एक युवती की है जो पीएससी की तैयारी कर रही है।

बिलासपुरFeb 23, 2025 / 08:02 am

Shradha Jaiswal

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Patrika Mahila Suraksha: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले निजी अस्पताल में दो नर्स भिलाई के स्मृति नगर में किराए के मकान में रहती थीं। यहां लड़कियों को आवारा लड़कों ने इस कदर परेशान किया कि आखिर उनको मकान छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ा। यही समस्या बिलासपुर की एक युवती की है जो पीएससी की तैयारी कर रही है।
प्राइवेट नौकरी करने वाली एक महिला ने तो परेशान होकर घर बैठना ही मुनासिब समझा। इन्होंने पुलिस में शिकायत करने की सोची लेकिन उन्हें डर सता रहा था कि इसके बाद हालात और खराब न हो जाएं।
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  1. आते-जाते पीछा करते थे
भिलाई के आग्रह पर बदला हुआ नाम रेखा ने कहा की नर्सिंग कोर्स करने के बाद भिलाई के निजी अस्पताल में नौकरी मिली। तब दोनों बस्तर से भिलाई आ गईं और दोनों एक मकान किराए पर लिया। यहां चंद दिन ही बीते थे कि कुछ आवारा लड़के ड्यूटी पर आते-जाते समय पीछा करने लगे। वे रात में अक्सर घर के करीब जमा रहते। कभी एक की नाइट शिफ्ट रहतीं तो दूसरी अकेली घर पर रहती। तब उन आवारा लड़कों का घर के करीब देर रात तक रहने से डर लगता था। इस वजह से मकान छोडऩे का फैसला किया। अब फ्लैट में रह रहे हैं।
  1. शिकायत से भी डर लगता था
भिलाई को शिक्षा का हब माना जाता है। यहां दूसरे प्रदेश से आकर लड़कियां पढ़ रही हैं। ऐसी जगह में मनचलों की हिम्मत देखकर ही डर लगता है। शिफ्ट में ड्यूटी के लिए अस्पताल जाने निकलो, तो लड़के बराबर पीछा करते। इतना ही नहीं, वे रास्ते में कुछ कॉमेंट्स पास करते। 112 में शिकायत करना है, यह सभी को मालूम है, लेकिन डर था कि शिकायत करने के बाद कहीं नुकसान न पहुंचा दें।
  1. मजबूरी में प्राइवेट नौकरी छोडऩी पड़ी
बिलासपुर आग्रह पर बदला हुआ नाम नीलिमा ने कहा की शादी के बाद मैंने एक निजी स्कूल में इंटरव्यू देकर टीचर की नौकरी कर ली। मुझे कुछ दिन तो यह सोच कर सुकून मिलता रहा कि अब मैं भी अपने पैरों पर खड़ी हूं, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। घर से अकेली स्कूल जाने-आने में असामाजिक तत्वों की घूरती निगाहें परेशान करने लगीं।
दूसरी ओर स्कूल मेें भी पुरुष स्टाफ के गलत रवैये से मानसिक रूप से परेशान रहने लगी। वह जॉब छोड़कर एक कम्प्यूटर एजुकेशन संस्थान में टीचिंग करने लगी। पर यहां भी वही माहौल था। इसका असर दांपत्य जीवन पर भी पडऩे लगा। मैंने उस जॉब को भी छोड़ दिया। फिलहाल घर संभाल रही हूं। अब घर पर ही रह कर कुछ स्वरोजगार करने का सोच रही हूं।
  1. घर से बाहर रह कर पढ़ाई करना मुश्किल
बिलासपुर आग्रह पर बदला हुआ नाम अनुपमा ने कहा की ग्रेजुएशन के बाद अंबिकापुर जिले के एक गांव से दो साल पहले बिलासपुर आकर पीएससी की कोचिंग शुरू की। कुछ दिन बाद तरह-तरह की परेशानी शुरू हुई। जिस मकान में रहती थी, वहां किराएदार का बेटा गंदी नजरों से देखता, फिर छेडख़ानी शुरू कर दी।
दूसरी ओर मोहल्ले के आवारा तत्व भी आते-जाते समय फब्तियां कसते। एक बार सोचा कि इन सबके खिलाफ पुलिस में शिकायत करूं लेकिन फिर सोचा कि इससे कहीं और न परेशान हो जाऊं। अत: उस मकान को छोड़कर दूसरे मोहल्ले में किराए के मकान में रहने लगी। वहां भी यही परेशानी थी। अंतत: कोचिंग संस्थान के ही हॉस्टल में रहने लगी। हालांकि यहां भी वैसी सुरक्षा नहीं, जैसी होनी चाहिए, पर पहले से बेहतर है।

मदद के लिए डायल करें 112

आईयूसीएडब्ल्यू एएसपी पद्मश्री तंवर ने कहा की घर से दूर रह कर पढ़ाई कर रही छात्राएं या कामकाजी महिलाएं कभी भी पुलिस की सहायता ले सकती हैं। पुलिस की मदद डायल 112 पर भी मिलेगी। इमरजेंसी के लिए प्ले स्टोर से अभिव्यक्ति ऐप को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लें। इमरजेंसी में एसओएस बटन दबाकर तत्काल पुलिस की मदद ले सकती हैं।

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