इसमें बताया कि 4 जुलाई 2022 को उसका विवाह हुआ। विवाह के 15 दिन बाद पत्नी अपने माता-पिता के घर गई और उसके तुरंत बाद उसका व्यवहार काफी बदल गया। उसने पति की मां और भाई के साथ दुर्व्यवहार किया। वापस न लौटने पर जब पति ने पत्नी से संपर्क किया, तो उसने साथ जाने से साफ इंकार कर दिया।
याचिकाकर्ता पति ने 7 अक्टूबर.2002 को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की। इस पर पत्नी ने 14 अक्टूबर 2022 को पारिवारिक न्यायालय,
राजनांदगांव के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर पति की मां, पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप लगाए। उसने महिला थाना, राजनांदगांव में भी अपने ससुराल वालों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई।
पासवर्ड साझा करने बाध्य नहीं कर सकता पति परिवार न्यायालय से याचिका खारिज होने के बाद पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि व्यभिचार के आरोप को प्रमाणित करने के लिए, कॉल विवरण रिकॉर्ड प्रस्तुत करना आवश्यक है। आवेदन शुरू में पुलिस अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पति द्वारा पूर्व में तलाक के लिए दायर याचिका के अवलोकन से पता चलता है कि यह केवल क्रूरता के आधार पर दायर की गई है।
पूरी याचिका में व्यभिचार के संबंध में कोई आरोप नहीं लगाया गया था। कोई भी पति या पत्नी दूसरे की निजता, स्वायत्तता का मनमाने ढंग से उल्लंघन नहीं कर सकता। वैवाहिक संबंधों में साझा जीवन शामिल होता है, यह व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकारों का खंडन नहीं करता। पति अपने मोबाइल फोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए पत्नी को बाध्य नहीं कर सकता। ऐसा कृत्य गोपनीयता का उल्लंघन और संभावित रूप से घरेलू हिंसा माना जाएगा।
पत्नी द्वारा शिकायत करने के बाद पति ने क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद के लिए याचिका दायर की। पत्नी ने अपने जवाब में तलाक याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन किया। इसके बाद पति ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर पत्नी के मोबाइल का कॉल डिटेल रेकॉर्ड (सीडीआर) उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
उसने पारिवारिक न्यायालय के समक्ष भी इसके लिए आवेदन कर कहा कि उसकी पत्नी अपने जीजा से लंबे समय तक बात करती थी। उसके और जीजा के बीच अवैध संबंध हो सकते हैं। मामले के निर्णय के लिए कॉल डिटेल रेकॉर्ड आवश्यक हैं। पारिवारिक न्यायालय ने 27 जून 2024 को उक्त आवेदन खारिज कर दिया।