‘ऑस्टियो ऑर्थराइटिस एवं मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर कार्यक्रम’ के तहत राज्य के सभी 146 विकासखंडों में एक प्रशिक्षित आयुष चिकित्सक को नियुक्त किया गया है। इन चिकित्सकों की जिम्मेदारी सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं होगी, बल्कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करेंगे। शिविरों में सायटिका, ऑर्थराइटिस, कमर, गर्दन और घुटनों के पुराने दर्द से पीडि़त मरीजों की पहचान की जाएगी और उन्हें नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।
AYUSH Health Camps: आयुर्वेद, योग और आहार से उपचार
इस अभियान की खास बात यह है कि इसमें रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं, योग, प्राणायाम और संतुलित आहार-विहार के माध्यम से राहत दिलाई जाएगी। मरीजों को यह समझाया जाएगा कि दर्द की स्थिति में केवल दवाओं पर निर्भर रहना ही उपाय नहीं है, बल्कि जीवनशैली में बदलाव लाकर और शरीर की स्वाभाविक उपचार शक्ति को बढ़ाकर भी बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
पेन किलर से हो रहे हैं घातक दुष्प्रभाव
आयुष विशेषज्ञों के अनुसार, नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाओं जैसे पेन किलर का बार-बार सेवन किडनी फेल्योर, लिवर डैमेज, हाई ब्लड प्रेशर और गैस्ट्रिक अल्सर जैसी बीमारियों को जन्म देता है। इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। लोगों को दी जा रही जानकारी
इस अभियान के तहत प्रत्येक शिविर में लोगों को सरल भाषा में बताया जाएगा कि वे किन संकेतों पर डॉक्टर से परामर्श लें, कौन से योगासन उनके लिए उपयोगी होंगे और किस प्रकार की जीवनशैली दर्द रहित जीवन की कुंजी बन सकती है। प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देकर अभियान का उद्देश्य लोगों को पेन किलर की लत से बचाना और दीर्घकालिक राहत प्रदान करना है।
टॉपिक एक्सपर्ट…
एलोपैथी में पेन डिसार्डर जैसे सायटिका, आर्थराइटिस, कमर, गर्दन और घुटनों के पुराने दर्द का परमानेंट इलाज नहीं है। जबकि आयुर्वेदि चिकित्सा पद्धिति में इसका समाधान है। इसमें योग, पंचकर्म, आहार विकार का विशेष योगदान है। आयुष का यह अभियान इसी दिशा में लोगों को मोडऩा है, ताकि पेन किलर के साइड इफेक्ट से बचते हुए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का पालन कर स्वयं को स्वस्थ रख सकें। – डॉ. अनिल सोनी, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी।