रजिस्ट्री व्यवस्था के विकेंद्रीकरण से जिला पंजीयन कार्यालय में अब राहत है। पहले की तरह भीड़ और लाइन लगाने की नौबत नहीं आ रही है। पुरानी व्यवस्था में जिले भर से रजिस्ट्री कराने लोग जिला कार्यालय ही पहुंचते थे। इससे उनको आने-जाने का खर्च वहन करने के साथ समय भी बर्बाद होता था। भीड़ के कारण टोकन लेने और एक दिन में रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी न होने पर उनको कई चक्कर लगाने पड़ते थे। दस्तावेज लेने के लिए भी कई बार आना पड़ता था। नई व्यवस्था में अब इस सबसे निजात मिल गई है।
ग्रामीणों को राहत
जनवरी से यहां लागू की गई व्यवस्था के अनुसार जिले में रजिस्ट्री के लिए बिलासपुर सहित 5 तहसील तय की गईं हैं। इनमें बिल्हा, तखतपुर, मस्तूरी, कोटा शामिल हैं। इन क्षेत्र के अंतर्गत गांव वालों को अब बिलासपुर आने की जरूरत नहीं हैं। रजिस्ट्री सहित जमीन से जुड़े अन्य कार्य संबंधित तहसील क्षेत्र में ही हो जाएंगे। पहले डेढ़ सौ से ज्यादा रजिस्ट्री, अब हो र्गइं आधी
बिलासपुर जिला पंजीयक कार्यालय में पहले डेढ़ सौ से ज्यादा रजिस्ट्री होतीं थीं। नई व्यवस्था में अब यह लगभग आधी रह गई हैं। इससे रजिस्ट्री दफ्तर में पहले की तरह भीड़ नहीं होती। पक्षकारों को भी इससे राहत है। भीड़ होने के कारण कई दिन पहले से टोकन लेना पड़ता था। साथ ही दफ्तर में भी इंतजार में समय खराब होता था। बाहर से आने वालों को खासतौर पर परेशानी होती थी, जो अब दूर हो गई है।
लोगों को सुविधा देने के लिए नई व्यवस्था जनवरी माह से लागू की गई। संबंधित तहसील में ही रजिस्ट्री हो, इसके लिए जिला कार्यालय या अन्य तहसील में रजिस्ट्री कराने पर 25 हजार रुपए अतिरिक्त शुल्क भी रखा गया है। इससे लोग तय अनुसार ही रजिस्ट्री करा रहे हैं। – आर. स्वर्णकार, जिला पंजीयक