सुनवाई के बाद कोर्ट ने रूंगटा एजुकेशनल फाउंडेशन के डायरेक्टर को चुकाई गई फीस 36,791 रुपए जमा करने की तारीख से उसके भुगतान तक प्रति माह 8 प्रतिशत ब्याज के साथ याचिकाकर्ता को वापस करने को कहा है। याचिकाकर्ता को हुए नुकसान के लिए 2 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
Bilaspur High court: प्रक्रिया पर उठाए सवाल
गिरिजापुर कोरिया निवासी रिद्द्धी साहू रूंगटा कॉलेज से एमबीए कर रही थी। उसने कॉलेज में प्रवेश की सभी औपचारिकताएं पूरी कर शुल्क का भुगतान किया। एक माह तक क्लास भी अटैंड की। तभी उसके प्रवेश पर कुलसचिव विवेकानंद तकनीकी विवि व अन्य प्रतिवादियों ने यह कहकर रोक लगा दी कि , उसका नाम सीजीडीटीई पोर्टल पर नहीं दिखाया गया है, जिस पर विश्वविद्यालय से
एमबीए कोर्स करने वाले छात्रों की सूची प्रदर्शित की गई है।
याचिकाकर्ता को 13 नवबर 2024 से कॉलेज जाने से रोक दिया गया। छात्रा ने 20 नवबर 2024 को डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन रायपुर को एक अभ्यावेदन दिया।
याचिकाकर्ता द्वारा की गई सिफारिश पर 22 नवबर 2024 को शासकीय कन्या पोलीटेक्नीक कालेज रायपुर की प्राचार्य की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक समिति गठित की गई।
ब्याज के साथ दें पूरी फीस व जुर्माना
25 नवबर 2024 को याचिकाकर्ता को सीजीडीटीई के काउंसलिंग पोर्टल में प्रवेश के लिए संस्थान को आवंटन पत्र की प्रति और आवश्यक अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करने को कहा। डायरेक्टर रूंगटा एजुकेशनल फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख कर कहा कि इसे अस्थाई प्रवेश दिया गया था। डायरेक्टर टेक्नीकल एजुकेशन द्वारा प्रवेश तिथि नहीं बढ़ाई गई, जिससे याचिकाकर्ता का स्थायी प्रवेश नहीं हो सका। इसके बाद याचिकाकर्ता ने
हाईकोर्ट की शरण ली। याचिका में कहा गया कि प्राचार्य कन्या पॉलीटेक्निक कॉलेज की अध्यक्षता वाली समिति ने जांच रिपोर्ट में बताया है कि कॉलेज ने याचिकाकर्ता से फीस ली है और नियमों के विरुद्ध उसे कॉलेज में प्रवेश दिया है। चूंकि याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी, इसलिए उसे उसी कॉलेज में एमबीए की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए।