टाइगर रिजर्व के बफर जोन में स्थित भीमलत वन क्षेत्र और बाणगंगा नदी का उद्गम स्थल अब पर्यटकों के आकर्षण का नया केंद्र बनने जा रहे हैं। अर्जुन के पेड़ों से घिरा यह क्षेत्र भीषण गर्मी में भी सावन जैसी शीतलता प्रदान करता है। वन विभाग ने यहां लव-कुश वाटिका विकसित की है और बाणगंगा नदी तक रास्ता भी बना दिया गया है। जल्द ही यह इलाका ईको-टूरिज्म के लिए खोला जाएगा।
जिले में तीन जगहों पर जंगल सफारी शुरू करने की स्वीकृति मिल चुकी है, जिनमें भीमलत क्षेत्र भी शामिल है। यहां पैंथर,भालू, भेडिय़ा, नीलगाय सहित कई वन्यजीव प्रजातियां निवास करती हैं। भीमलत नाले के दोनों किनारों पर पथ-निर्माण भी पूरा हो चुका है।
राजस्थान में बाघों का जच्चाघर माने जाने वाले रामगढ़ विषधारी में अब बाघों के साथ-साथ शाकाहारी वन्यजीवों की संया भी बढ़ रही है। यह न केवल रामगढ़ बल्कि मुकुंदरा और रणथंभौर टाइगर रिजर्व के लिए भी शुभ संकेत है।
भीमलत वन क्षेत्र के मुंदेड़ए भालाकुई और बाणगंगा के जंगलों में अच्छे घास के मैदान और पानी के स्रोत बाघों की वापसी के लिए अनुकूल सिद्ध हो रहे हैं। यहां भेडिय़ों की मौजूदगी इस क्षेत्र की जैव विविधता का प्रमाण है। इसके अलावा पैंथर, भालू, सेही, अजगर, गिद्ध, गीदड़ चिंकारा, जंगली सूअर और रोझ आदि भी यहां अच्छी तादाद में मौजूद हैं।
बूंदी जिले की आबोहवा बहुत अच्छी है तथा यहां की जैवविविधता भी बेहतर है। टाइगर रिजर्व बनने के साथ ही यहां के बफर जोन के कलदां व भीमलत के जंगलों को बाघों के अनुकूल बनाने के प्रयास कर रहें है। जिससे यहां के जंगलों में फिर से बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है।
देवेंद्र सिंह भाटी, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक (बफर), रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी