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किसानों को राहत, अब किराए पर मिलेंगे आधुनिक कृषि यंत्र

प्रदेश के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। अब उन्हें महंगे कृषि उपकरण खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

बूंदीJul 22, 2025 / 05:19 pm

पंकज जोशी

किसानों को राहत, अब किराए पर मिलेंगे आधुनिक कृषि यंत्र

कृषि उपकरण

बूंदी. प्रदेश के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। अब उन्हें महंगे कृषि उपकरण खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। राज्य सरकार की नई पहल के तहत हर ग्राम पंचायत स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जहां से किसान ट्रैक्टर, थ्रेसर, रोटावेटर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल और फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र किराए पर ले सकेंगे। योजना का उद्देश्य सीमित संसाधनों वाले लघु एवं सीमांत किसानों को महंगे यंत्रों की खरीद से राहत देना है। इन केंद्रों के माध्यम से खेती की लागत घटेगी, उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।
एक हजार केंद्र का लक्ष्य
बजट वर्ष 2025-26 में राज्यभर में 1,000 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। बूंदी जिले में 48 केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह योजना केंद्र सरकार के ‘‘सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन’’ के अंतर्गत संचालित हो रही है।
ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा
कृषक अपने नजदीकी केंद्र पर उपलब्ध कृषि यंत्रों की ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकेंगे। इसके लिए ‘राजकिसान कस्टम हायरिंग एप’ तैयार किया गया है, जिसमें बुकिंग से लेकर भुगतान तक की समस्त प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से होगी।
किसे मिलेगा संचालन का जिम्मा
केंद्रों के संचालन के लिए क्रय-विक्रय सहकारी समितियों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों, राजीविका के क्लस्टर लेवल फेडरेशन, प्रगतिशील किसान और निजी सेवा प्रदाता फर्मों को शामिल किया गया है। इससे स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
तकनीक से खेती को मिलेगा बढ़ावा
कृषि विभाग के अनुसार यह पहल किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ेगी, जिससे वे कम समय में अधिक कार्य कर सकेंगे। बुवाई, कटाई और थ्रेसिंग जैसे कार्य अब कुशल और वैज्ञानिक ढंग से हो सकेंगे।
कृषि यंत्रीकरण को नई दिशा
ग्राम पंचायत स्तर पर कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना कृषि यंत्रीकरण को नई दिशा देगी। यह योजना खेती को लाभकारी, व्यवस्थित और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इनका कहना है
ग्राम पंचायतों में कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना से किसानों को आधुनिक यंत्र किराए पर मिलेंगे। इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
के. के. सोमाणी, कार्यवाहक संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार), बूंदी

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