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पैदावार से आधी उपज खरीद रही सरकार, बाकी बाजार में बेच रहे किसान

क्षेत्र में इस बार चने और सरसों की बपर पैदावार हुई। मौसम अनुकूल रहने से क्षेत्र में चने की पैदावार पच्चीस से तीस क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई है, वहीं सरसों की पैदावार भी करीब 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई है

बूंदीApr 20, 2025 / 07:08 pm

पंकज जोशी

पैदावार से आधी उपज खरीद रही सरकार, बाकी बाजार में बेच रहे किसान

कापरेन समर्थन मूल्य खरीद केंद्र कापरेन पर चने की तुलाई करवाते किसान।

कापरेन. क्षेत्र में इस बार चने और सरसों की बंपर पैदावार हुई। मौसम अनुकूल रहने से क्षेत्र में चने की पैदावार पच्चीस से तीस क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई है, वहीं सरसों की पैदावार भी करीब 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई है, लेकिन सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर प्रति हेक्टेयर खरीद बहुत कम निर्धारित होने से किसानों की पैदावार से आधी उपज ही समर्थन मूल्य पर बिक रही है और शेष उपज को खुले बाजार में औने पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है, जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर छह से नौ हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों की पूरी उपज की खरीद समर्थन मूल्य पर नहीं होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।किसानों ने सरकार से क्षेत्र में फसलों की पैदावार का सर्वे करवाकर पैदावार के अनुसार ही प्रति हेक्टेयर खरीद क्षमता निर्धारित करने और किसानों की सपूर्ण उपज की खरीद करवाने की मांग की है।
अधिकतम खरीद 40 क्विंटल प्रति किसान
किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य पर सपूर्ण उपज की खरीद होनी चाहिए। सरकार द्वारा आधी उपज खरीदी जा रही है। चने की पैदावार चार से पांच क्विंटल प्रति बीघा आई है, जबकि चने की खरीद ढाई किवंटल से भी कम हो रही है।वहीं एक किसान से अधिकतम चालीस क्विंटल चना ही खरीद की जा रही है। ऐसे में किसानों को शेष बची उपज बाजार में बेचनी पड़ रही है। बाजार भाव समर्थन मूल्य से कम रहने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
रकबा और उपज दोनों बढ़े, खरीद नहीं
कृषि विभाग के अनुसार केशवरायपाटन क्षेत्र में इस बार चने का रकबा करीब 14 हजार और सरसों का रकबा 17 हजार हेक्टेयर है। जबकि पिछली बार चने का रकबा इससे आधा ही था।
कम भाव पर बेच रहे
भारतीय किसान संघ जिलाध्यक्ष सन्तोष दुबे ,किसान नेता अमर लाल मालव, केदार लाल शर्मा आदि ने बताया कि भारतीय किसान संघ द्वारा सपूर्ण उपज खरीद को लेकर कई बार मांग उठाई गई है।इसके बावजूद सरकार द्वारा सपूर्ण उपज की खरीद नहीं की जा रही है।क्षेत्र में चने का रकबा बढ़ा है और पैदावार भी अच्छी हुई है।कई किसानों की उपज चालीस क्विंटल से अधिक है, जिसे देखते हुए सरकार द्वारा किसानों की सपूर्ण उपज खरीदनी चाहिए।समर्थन मूल्य पर अधिकतम खरीद 40 क्विंटल कि सीमा निर्धारित होने से कई किसानों को बाजार में कम भाव में उपज बेचनी पड़ रही है और नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नहीं खुल रही साइड
किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य पर चने और सरसों बेचने के लिए एक ऑन लाइन पंजीकरण नहीं होने से कई किसान पंजीकरण करवाने से वंचित हैं और बाजार मे कम दाम में उपज बेचने को मजबूर है। किसानों ने बताया कि राजफैड द्वारा कापरेन खरीद केंद्र पर एक अप्रैल को ऑन लाइन साइड चालू करवाई थी।साइड खुलने का पता चलने पर ईमित्र केंद्र पर पहुचे तो साइड बन्द हो गई, जिससे क्षेत्र के कई किसान पंजीकरण करवाने से वंचित रह गए। किसानों ने बताया कि ऑन लाइन पंजीकरण साइड आधा घंटे बाद ही बन्द हो गई। उसके बाद आसपास के खरीद केंद्रों पर पंजीकरण करवाया, लेकिन वह भी एक ही दिन चले। ऐसे में साइड खुलने का पता नहीं चलने से कई किसान वंचित रह गए।किसान खरीद केंद्र पर खरीद क्षमता बढ़ाने और फिर से पंजीकरण के लिए ऑन लाइन साइड खुलने का इंतजार कर रहे हैं।किसानों का कहना है कि क्षेत्र में चने का रकबा देखते हुए पंजीकरण बढ़ाना चाहिए।
कृषि विभाग द्वारा क्षेत्र में होने वाली उपज व रकबे के अनुसार खरीद क्षमता निर्धारित की जाती है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रति हेक्टेयर चने और सरसों की निर्धारित उपज की खरीद की जा रही है। एक किसान से अधिकतम 40 क्विंटल की खरीद की जा रही है।चने के लिए ऑन लाइन पंजीकरण कापरेन खरीद केंद्र की क्षमता पूरी होने से साइड बन्द हो गई है। किसानों की मांग से उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।
वीरेंद्र शर्मा, व्यवस्थापक, मार्केटिंग सोसायटी केशवरायपाटन
कृषि विभाग द्वारा क्षेत्र में रकबा और पैदावार का सर्वे कर क्षेत्र में औसत पैदावार और रकबे की रिपोर्ट खरीद के लिए बनाई गई कमेटी को भेजी जाती है।कमेटी ही समर्थन मूल्य पर प्रति हेक्टेयर व अधिकतम खरीद की मात्रा निर्धारित करती है।
पप्पू लाल मीणा, सहायक कृषि अधिकारी, केशवरायपाटन

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