बरड़ क्षेत्र में राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र डाबी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर लाबाखोह व जवाहर सागर बांध से जुड़ी डाबी, लाबाखोह, राजपुरा, बुधपुरा, गोपालपुरा, सुतड़ा, धनेश्वर, खड़ीपुर, जवाहर सागर बांध, गणेशपुरा पंचायतों के लोग व खनन क्षेत्र होने के नाते बाहरी मजदुर इन से जुड़े हुए है।
क्षेत्र में महिला चिकित्सक नहीं होने की वजह से प्रसूताओं व अन्य बीमारियों से परेशान महिलाओं को झिझकते हुए पुरुष डॉक्टरों से ही अपना इलाज कराने को मजबूर होना पड़ता है। ज्यादातर महिलाओं को प्रसव के लिए परिजन कोटा के निजी अस्पतालों में ले जाते है। आपातकालीन परिस्थितियों में प्रसूताओं को इस दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
क्षेत्र में सालाना लगभग एक हजार से अधिक प्रसव होते है। प्रसव के लिए बूंदी जिला मुख्यालय की लगभग 65 किलोमीटर व कोटा के लिए 45 किलोमीटर व बिजोलिया के लिए 25 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रसुताओं को लेकर जाना पड़ता है। दूरी तय करते समय किसी अनहोनी घटना की अंदेशा बना रहता है।
महिला चिकित्सक होने पर प्रसुताओं को समय पर उपचार मिल सकेगा। महिला चिकित्सक की नियुक्ति के साथ ही सीएचसी में सोनोग्राफी मशीन व अल्ट्रासाउंड तकनीशियन की नियुक्ति भी की जानी चाहिए। प्रसूताओं को रेफर किया जाता
डाबी सीएचसी में महिला चिकित्सक नहीं होने से डॉक्टर प्रसुताओं को कोटा रेफर कर देते हैं। इससे आमजन परेशान हैं। परिजन प्रसूता को लेकर सीएचसी अस्पताल पहुंचते है, सामान्य प्रसव तो सीएचसी में करवा दिए जाते है। वहीं पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में डॉक्टर प्रसूताओं को रेफर कर देते है। कई मर्तबा जटिल परिस्थितियों में प्रसूता को ले जाते समय रास्ते में ही प्रसव भी हो जाते है।
राज्य सरकार करे पद सृजित
राज्य सरकार सीएचसी डाबी में महिला चिकित्सक का पद सृजित कर यहां नियुक्ति कर सकती है। महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण महिलाओं को परेशानी व शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है। महिला चिकित्सक होने से महिलाएं अपनी समस्या खुलकर बता सकती है।