इस गांव में 500 साल पुरानी परंपरा जारी
500 साल पुरानी परंपरा बाकड़ी गांव की है। जो कि आज भी कायम है। पहले दहेज के रुप में 1 रुपए, 11 रुपए या 51 रुपए दिए जाते थे। समय बदलने के साथ ही राशि बढ़कर 2.50 लाख तक पहुंच गई है। हालांकि, दहेज की राशि शादी पर निर्भर करती है।
यहां जमीन बेचकर दहेज देते हैं लोग
यहां के स्थानीय निवासियों ने बताया कि दहेज की राशि बढ़ने के कारण कई परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। इस वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी के पर्याप्त धन होता है तो वह अपने खेत बेचकर दहेज की राशि को जुटाते हैं। परंपरा शादी के एक महीने बाद पंचायत के माध्यम से पूरी होती है। पंचायत दहेज की राशि की तय करती है। जिसे दूल्हे पक्ष के द्वारा दुल्हन पक्ष को दिया जाता है।
समाज कर रहा देहज कम करने का प्रयास
भिलाला समाज दहेज की बढ़ती राशि को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। वर्तमान राशि को 50 हजार रुपए करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए गांव में सभाएं आयोजित कर चर्चाएं की जा रही है। ताकि परिवारों जागरूक हो सकें।