ईओएल नीति ने छीना विकल्प (10 year diesel car rule)
दिल्ली की “एंड ऑफ लाइफ” (EOL) नीति के तहत 10 साल से पुराने डीज़ल वाहनों का रजिस्ट्रेशन सीधा रद्द कर दिया जाता है। इस नियम के चलते उन्हें कार को NCR के बाहर बेहद कम कीमत पर बेचना पड़ा।
“साधारण समझ पर जुर्माना!”
रितेश ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी जताते हुए लिखा, “साफ-सुथरी गाड़ी को बेचना, ये सामान्य समझ पर जुर्माना है!” हालांकि उन्होंने पोस्ट बाद में हटा दी, लेकिन तब तक यह वायरल हो चुकी थी।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
लोगों ने इस नीति को “अनुचित” बताते हुए सवाल उठाए। एक यूज़र ने लिखा, “अगर गाड़ी की हालत अच्छी है, तो वो 50 साल तक चल सकती है।” दूसरे ने कहा, “पुरानी कार बेचो, नई लो, फिर उस पर टैक्स दो – ये नीति सिरदर्द है।”
सिस्टम में बदलाव की मांग
कुछ यूज़र्स ने दिल्ली के शहरी ढांचे पर भी सवाल उठाए। कहा गया कि यदि सरकार सच में प्रदूषण कम करना चाहती है तो लोगों को ऐसा विकल्प दे जहां गाड़ी की ज़रूरत ही न हो।
सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया
यह खबर आते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। लोगों ने दिल्ली-NCR में डीज़ल गाड़ियों पर 10 साल की सीमा को अव्यावहारिक और आम नागरिक के हितों के खिलाफ बताया। “यह पर्यावरण के नाम पर आर्थिक नुकसान है”, कई यूजर्स ने ट्वीट किया। ट्विटर, रेडिट और फेसबुक पर ट्रेंड करने लगा – #DieselBanDebate, #CarRights, #PollutionVsPolicy
क्या सरकार इस नीति में कोई बदलाव करेगी ?
क्या भविष्य में ऐसी गाड़ियों को रिन्यू करने या टेक्नोलॉजी से अपग्रेड करने का विकल्प मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट या NGT में इस नीति को चुनौती देने की कोई कानूनी कोशिश चल रही है क्या? दूसरी मेट्रो सिटीज़ में EOL नीति कैसे लागू हो रही है – क्या वहां भी यही समस्याएं हैं?
आम आदमी बनाम नीति
रितेश जैसे हजारों कार मालिक हैं, जिनकी गाड़ियाँ बेहतरीन हालत में हैं लेकिन “नीति” के कारण उन्हें बर्बाद करना पड़ रहा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉबी बनाम पुरानी गाड़ी क्या यह नीति इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों को अप्रत्यक्ष बढ़ावा देने का तरीका है?
वाहन अपग्रेड स्कीम की मांग
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को स्क्रैपिंग के बदले अपग्रेडेशन या कन्वर्ज़न स्कीम लानी चाहिए।
प्रदूषण बनाम पेट्रोल डीज़ल डिबेट
वास्तव में दिल्ली में प्रदूषण की जड़ कौन? गाड़ियाँ या निर्माण, धूल और पराली? इनपुट क्रेडिट:ट्विटर/X पर मूल पोस्ट: रितेश गंडोत्रा । यूज़र कमेंट्स स्रोत: ट्विटर, फेसबुक कम्युनिटी, रेडिट थ्रेड्स। डाटा स्रोत: CPCB (Central Pollution Control Board) के प्रदूषण की सालाना रिपोर्ट्स।
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