महाराष्ट्र ने मारी बाजी
जीएसटी कलेक्शन में शीर्ष योगदानकर्ता राज्यों की सूची में
महाराष्ट्र ने पहला स्थान हासिल किया है। मार्च 2025 के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र ने 31,534 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो पिछले साल की तुलना में 14% अधिक है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि महाराष्ट्र की मजबूत औद्योगिक गतिविधियां,
निर्यात में 16% की हिस्सेदारी और डायरेक्ट टैक्स में 39% का योगदान इसकी आर्थिक ताकत को दर्शाता है।
क्यों आई इतनी उछाल?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, घरेलू लेनदेन से जीएसटी राजस्व 10.7% बढ़कर 1.9 लाख करोड़ रुपये और आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8% बढ़कर 46,913 करोड़ रुपये रहा। इसके अलावा, बेहतर कर अनुपालन, सख्त निगरानी और डिजिटल लेनदेन में वृद्धि ने भी इस रिकॉर्ड कलेक्शन में योगदान दिया। अप्रैल में रिफंड राशि भी 48.3% बढ़कर 27,341 करोड़ रुपये हो गई, जो जीएसटी प्रक्रिया में पारदर्शिता को दर्शाता है।
अन्य राज्यों का प्रदर्शन
शीर्ष पांच योगदानकर्ता राज्यों में महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। उत्तर प्रदेश ने अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, जो बढ़ती आर्थिक गतिविधियों का संकेत है। वहीं, लक्षद्वीप में 287% और अरुणाचल प्रदेश में 66% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मिजोरम में 28% की गिरावट देखी गई।
आर्थिक संकेत और भविष्य
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में मजबूती और करदाताओं के बेहतर अनुपालन का परिणाम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारिकरण और संगठित क्षेत्र में तेजी का संकेत है। सरकार ने 2025-26 के लिए जीएसटी राजस्व में 11% वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिससे 11.78 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन होने की उम्मीद है। यह रिकॉर्ड कलेक्शन न केवल सरकारी खजाने को मजबूत करेगा, बल्कि बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश को भी बढ़ावा देगा।