Vijaypat Singhania Raymonds : पद्म अलंकरण से हाेे चुके हैं सम्मानित। @shubhmswri09, X
एक वक्त था जब भारत में अगर किसी Businessmen की रईसी और शोहरत की मिसाल दी जाती थी, तो उसमें विजयपत सिंघानिया (Vijaypat Singhania Raymonds) का नाम सबसे ऊपर होता था। Vijaypat Singhania दिग्गज रईसों से कहीं आगे निकल चुके थे ना सिर्फ दौलत में, बल्कि प्रतिष्ठा और प्रभाव में भी। लेकिन वक्त ने ऐसा पलटा खाया कि वही व्यक्ति आज 86 साल की उम्र में मुंबई के एक किराए के फ्लैट में अकेले गुमनामी की जिंदगी बिता रहे हैं।
Vijaypat Singhania का जन्म देश के प्रतिष्ठित सिंघानिया बिजनेस घराने में हुआ था। उनके चाचा जीके सिंघानिया ने रेमंड ग्रुप की नींव रखी थी। लेकिन इसे देश-विदेश में चमकाने और The Complete Man ब्रांड बनाने का काम Vijaypat Singhania ने किया और समूह को 12000 करोड़ रुपये का अंपायर बनाया। 1980 से 2000 तक वे रेमंड ग्रुप के चेयरमैन रहे। उनके नेतृत्व में रेमंड सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेश में भी प्रीमियम सूटिंग फैब्रिक का पर्याय बन गया। छोटे कस्बों से लेकर बड़े महानगरों तक रेमंड आउटलेट्स खुलने लगे और ब्रांड की चमक हर तरफ फैल गई। उस दौर में वे बिजनेस और एंटरप्रेन्योरशिप की मिसाल बन चुके थे।
बंटवारे से शुरू हुई त्रासदी
सारी कहानी तब बदली जब Vijaypat Singhania ने अपने बेटों गौतम और मधुपति के बीच कारोबार बांटने की कोशिश की। मधुपति पहले ही सिंगापुर जाकर बस चुके थे और बिजनेस से दूरी बना चुके थे। Vijaypat Singhania ने 2015 में अपनी 37% हिस्सेदारी अपने छोटे बेटे गौतम सिंघानिया को सौंप दी। बस इसके बाद पिता-पुत्र के रिश्ते में कड़ुवाहट शुरू हो गई। गौतम ने धीरे-धीरे अपने पिता को कंपनी के मामलों से दूर किया और फिर उन्हें पुश्तैनी घर से भी निकलवा दिया।
आज न दौलत, न मकान
Raymond का वो मालिक जिसके पास कभी निजी जेट, आलीशान बंगले और नौकरों की फौज थी। अब एक छोटे से किराए के फ्लैट में अकेला रहता है। उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि बेटा कि गौतम उन्हें घर से निकाल चुका है और अब उनके पास कोई संपत्ति या अधिकार नहीं बचा है। एक समय जो कारोबारी सम्राट थे, आज वे अदालतों और इमोशनल ट्रॉमा से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि संपत्ति का नुकसान उतना नहीं खला जितना अपनों की बेरुखी ने उन्हें तोड़ दिया।
सिर्फ बिजनेसमैन ही नहीं, अवार्ड जीतने वाले एविएटर भी
बहुत कम लोग जानते हैं कि Vijaypat Singhania एक प्रोफेशनल एविएटर भी हैं। उन्हें उड़ान भरने का जुनून टाटा ग्रुप के संस्थापक जेआरडी टाटा से मिला। वह 2001 में Tenzing Norgay National Adventure Award से सम्मानित हुए और 2006 में उन्हें पद्म भूषण मिला। उसी साल उन्हें मुंबई का शेरिफ भी नियुक्त किया गया। भारतीय वायुसेना ने उन्हें ‘ऑनरेरी एयर कमोडोर’ का ओहदा भी दिया। 1994 में उन्होंने हॉट एयर बलून से समुद्रतल से 69,852 फीट की ऊंचाई पर जाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। ऐसे कारनामे उनके व्यक्तित्व को एक अलग ही ऊंचाई पर ले जाते हैं।
जिंदगी से शिकायत नहीं, पर दर्द जरूर है
Vijaypat Singhania का आज भी यही मानना है कि पैसा कभी स्थायी नहीं होता, लेकिन इंसान की पहचान उसके किए गए कामों और मूल्यों से होती है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने अपने बेटे पर भरोसा किया और अपनी पूरी संपत्ति सौंप दी, लेकिन अब वे बिल्कुल अकेले हैं। हालांकि वे खुद को एक फाइटर मानते हैं और कहते हैं-मैंने ज़िंदगी में सब कुछ देखा है शिखर भी और शून्य भी। जो सीख मिली है, वो किसी बिजनेस स्कूल में नहीं मिलती।
Hindi News / Business / बड़े-बड़े रईसों को पछाड़ चुके बिजनेस टाईकून अब बिता रहे बंजारों जैसी जिंदगी