सबसे अधिक प्रभाव गैर-बैंक ऋणदाताओं पर पड़ेगा
एसएंडपी ने कहा कि इन परिवर्तनों का सबसे अधिक प्रभाव गैर-बैंक ऋणदाताओं पर पड़ेगा, जो स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो पर अत्यधिक निर्भर हैं। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट विश्लेषक शिनॉय वर्गीस के अनुसार, “पहला यह है कि वित्त कंपनियों को उधारकर्ता की ऋण-योग्यता के नकदी प्रवाह-आधारित मूल्यांकन में बदलाव के कारण अग्रिम लागतों का सामना करना पड़ता है।” मसलन S&P की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुथूट और मणप्पुरम जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा बदलाव झेलने होंगे।
नए नियमों का पालन करने के लिए 1 अप्रेल तक का समय
नए नियमों का पालन करने के लिए ऋणदाताओं के पास 1 अप्रेल, 2026 तक का समय है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि नियम उपभोग उधार के लिए छोटी अवधि के ऋण की पेशकश में अधिक लचीलापन देते हैं, लेकिन एलटीवी गणना में ब्याज दरों को शामिल करने से उधारकर्ताओं को वास्तविक वितरण कम हो सकता है।
ऋणदाता नए ऋण ढांचे की तलाश कर रहे (Muthoot Manappuram RBI update)
एसएंडपी ने कहा कि मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसे गोल्ड-लोन विशेषज्ञों को सबसे ज़्यादा समायोजन का सामना करना पड़ सकता है। इसने यह भी चेतावनी दी कि जैसे-जैसे ऋणदाता अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को बढ़ा रहे हैं और नए ऋण ढांचे की तलाश कर रहे हैं, यह क्षेत्र सोने की कीमतों में तेज गिरावट के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
एसएंडपी की रिपोर्ट (S&P report on gold loan): गैर-बैंक कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि इन नए नियमों का सबसे ज्यादा असर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC gold loan impact) पर पड़ेगा, जो गोल्ड लोन पर अधिक निर्भर रहती हैं। मुथूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस जैसी कंपनियों को अपने सिस्टम में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।
आखिर ऐसे क्या हैं ये नए नियम ?
नकदी प्रवाह आधारित ऋण मूल्यांकन अनिवार्य किया गया है। एलटीवी (Loan to Value) अनुपात की सख्त निगरानी की जाएगी। ब्याज दर को भी अब एलटीवी कैलकुलेशन में जोड़ा जाएगा।
ऋणदाताओं को फायदा या नुकसान ?
इन नियमों के तहत ऋणदाताओं को शुरुआत में अधिक लागत और प्रक्रिया बदलाव झेलने पड़ सकते हैं, लेकिन इससे उन्हें उधारकर्ताओं की ऋण योग्यता बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। लंबी अवधि में क्रेडिट रिस्क घटेगा और गोल्ड लोन सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
क्या है इन नियमों के तहत डेडलाइन ?
ऋणदाताओं को इन नियमों को लागू करने के लिए 1 अप्रैल 2026 तक का समय दिया गया है। यानि कंपनियों के पास तैयारी का पूरा वक्त है।
अब क्या जोखिम भी बढ़ेगा ?
S&P ने चेतावनी दी है कि अगर सोने की कीमतों में तेज गिरावट आती है, तो इस सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है। नए ढांचे में लचीलापन तो है, लेकिन जोखिम भी बढ़े हैं।