कौन हैं आरोप लगाने वाले सुहैल दोशी
कैलिफोर्निया, अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के अमेरिकी टेक उद्यमी सुहैल दोशी ने सन 2009 में एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म Mixpanel की सह-स्थापना की थी और करीब एक दशक तक उसके सीईओ भी रहे।इसलिए लोग उनके बयान पर भरोसा कर रहे हैं। टेक इंडस्ट्री में एक जाना पहचाना नाम बन चुके दोशी ने 2022 में Playground AI नामक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित इमेज जेनरेशन प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया था।
आखिर कब शुरू हुआ यह विवाद ?
मूनलाइटिंग विवाद की शुरुआत भी उन्हीं की सोशल मीडिया पोस्ट से हुई, जिसमें उन्होंने लिखा था कि “एक लड़का है सोहम पारेख जो एक साथ कई स्टार्टअप्स में काम कर रहा है।” इस खुलासे के बाद कई कंपनियों ने कार्रवाई की और यह मामला तेजी से वायरल हो गया। सुहैल दोशी को सिलिकॉन वैली में एक विश्वसनीय और अनुभवी टेक लीडर के तौर पर जाना जाता है।
कितनी कंपनियों में लगे थे सोहम ?
सोहम पारेख पर आरोप है कि वो डायनेमो एआई, यूनियन एआई, सिंथेसिया और एलन एआई सहित कम से कम 4–5 स्टार्टअप्स के साथ काम कर रहा था। कई फाउंडर्स ने यह भी दावा किया कि जैसे ही उनसे इस बात का पता चला, उन्होंने तुरंत सोहम को हटाने का निर्णय लिया।
दोशी के अलावा और कौन-कौन फाउंडर्स सामने आए ?
फ्लो क्रिवेलो (Lindy के फाउंडर) ने कहा कि उन्होंने सोहम को हाल ही में ज्वॉइन किया था, लेकिन आरोपों के बाद उसे निकाल दिया। Fleet AI के सीईओ निकोलाई ओपोरोव ने कहा कि सोहम इन कंपनियों के साथ बरसों से काम कर रहा था। Antimetal के सीईओ मैथ्यू पार्कहर्स्ट ने उसी आधार पर सोहम को नौकरी से हटाया। Warp के प्रोडक्ट हेड मिशेल लिम ने बताया कि ट्रायल ही खत्म कर दिया, जब आरोप सामने आए।
सोहम की शिक्षा और उसकी प्रतिक्रिया
सोहम ने अपने सीवी में बताया कि वह मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Georgia Tech) से मास्टर्स किया है। हालांकि, इन दावों की भी जांच अभी जारी है। सोहम की ओर से अभी सार्वजनिक बयान नहीं आया है, लेकिन सुहैल ने कहा कि सोहम ने निजी तौर पर कह दिया है कि वह खेद व्यक्त करता है और पूछ रहा है, “क्या मैंने अपना पूरा करियर बर्बाद कर दिया ?”
आखिर मूनलाइटिंग होती क्या है ?
मूनलाइटिंग का मतलब है—एक प्राइमरी नौकरी के साथ कंपनी को बताए बिना चुपके से दूसरी नौकरी करना। भारत में भी यह परिस्थिति गंभीर है—विप्रो जैसे बड़े आईटी कंपनियों ने इसे गंभीरता से लिया और कर्मचारियों को चेतावनी दी है या निकाल दिया है।
टेक इंडस्ट्री दो भागों में बंटी हुई नजर आ रही
सोहम पारेख मूनलाइटिंग विवाद पर टेक इंडस्ट्री दो भागों में बंटी हुई नजर आ रही है। एक ओर जहां स्टार्टअप फाउंडर्स इस तरह की ‘छुपी हुई जॉब’ को धोखाधड़ी बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे टैलेंटेड युवाओं की आर्थिक मजबूरी और रिमोट वर्क कल्चर की खामी भी मान रहे हैं।
सोहम पारेख और उनका भारत कनेक्शन (NRI News): एक नजर
भारतीय मूल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोहम पारेख अमेरिका में एक साथ कई टेक स्टार्टअप्स में काम करने के आरोपों को लेकर चर्चा में आए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन पर मूनलाइटिंग यानी बिना जानकारी दिए एक साथ कई कंपनियों में काम करने का आरोप है। इस विवाद में जिन कंपनियों के नाम सामने आए हैं, उनमें डायनमो एआई, यूनियन एआई, सिंथेसिया, एलन एआई और GitHub की ओपन-सोर्स टीम शामिल हैं।
इस मामले से सुलगते सवाल
रिमोट जॉब्स और नैतिकता: क्या मूनलाइटिंग गलत है, या यह जॉब मार्केट की नई हकीकत है? स्टार्टअप्स का भरोसा संकट: क्या इस विवाद के बाद स्टार्टअप्स भारतीय टेक टैलेंट को लेकर अधिक सतर्क हो जाएंगे? युवाओं पर दबाव: अमेरिका में हाई-परफॉर्मेंस कल्चर और भारत से काम कर रहे युवाओं पर डिलीवरी का प्रेशर, कहीं यही मूनलाइटिंग की जड़ तो नहीं है?
मामला एक व्यक्ति या कंपनी तक सीमित नहीं
बहरहाल अब यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्ति या एक कंपनी तक सीमित नहीं है , सवाल यह है कि क्या रिमोट वर्क कल्चर में कंपनियों की जॉब वेरीफिकेशन प्रक्रिया नाकाम हो रही है? क्या स्टार्टअप्स को अब बैकग्राउंड चेक और अनुबंधों की समीक्षा करनी चाहिए ? क्या महंगाई के इस दौर में एक ही आदमी को कई जगह काम करने की अनुमति देना चाहिए?