उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस वार्षिक सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सभ्यतागत बंधन का जश्न मनाना और उसे मजबूत करना है। काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी के. वेंकट रमण घनपति के अनुसार, यह समागम महज दो सप्ताह का आयोजन नहीं है, बल्कि सदियों तक चलने वाला आयोजन है। उन्होंने कहा, ‘‘हनुमान घाट, केदार घाट और हरिश्चंद्र घाट विभिन्न दक्षिणी राज्यों से आए हजारों परिवारों के निवास स्थान हैं, जो दोनों क्षेत्रों के बीच स्थायी संबंध को दर्शाते हैं। सिर्फ हनुमान घाट पर 150 से अधिक घर तमिल परिवारों के स्वामित्व में हैं और इन्हीं की गलियों में हर दिन काशी तमिल संगमम का आयोजन होता है।
तमिलनाडु के ईरोड में आवश्यक तेलों (प्राकृतिक चिकित्सीय उत्पादों, सौंदर्य प्रसाधन, अरोमाथेरेपी, स्पा, परफ्यूम और खाद्य उत्पादों के रूप में व्यापक रूप से लोकप्रिय) का व्यवसाय करने वाली मुद्रा ऋण लाभार्थी नीलाक्षी ने कहा कि हम अपने कई मंदिरों में शिव की पूजा करते हैं और जब भी कोई परिचित काशी आता है, तो हम उनसे पवित्र जल लाने को कहते हैं। मैं यहां पहली बार आई हूं और काशी विश्वनाथ एवं अयोध्या में भव्य राम मंदिर जैसे मंदिरों में दर्शन करना चाहती हूं जो मेरी यात्रा प्राथमिकता में शामिल हैं।