तमिलनाडु द्वारा तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध करने पर प्रधान ने स्पष्ट किया कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है। यह जरूरी है कि राज्य सरकार राजनीति से ऊपर उठकर ऐसी नीतियों को प्राथमिकता दे जो हमारे छात्रों को सशक्त बनाती हैं। एनईपी 2020 एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है जो हमारी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित और मजबूत करते हुए भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों तक बढ़ाने का प्रयास करता है। एनईपी 2020 का एक केंद्रीय स्तंभ भारत की भाषाई विरासत के लिए इसका सम्मान है। नीति सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक छात्र को अपनी मातृभाषा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। किसी भी राज्य या समुदाय पर कोई भाषा थोपने का सवाल ही नहीं है। नीति का एक मुख्य उद्देश्य तमिल सहित भारतीय भाषाओं के शिक्षण को पुनर्जीवित और मजबूत करना है, जिन्हें दशकों से औपचारिक शिक्षा में धीरे-धीरे दरकिनार कर दिया गया है।
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