जिले में 56 सत्यापन केंद्रों पर हुआ काम
इस वर्ष जिले के 56 सत्यापन केंद्रों पर कुल 1775 आवेदकों में से 1589 बच्चों के दस्तावेजों का सत्यापन पूरा किया गया। करीब 90 प्रतिशत आवेदक इस प्रक्रिया में शामिल हो पाए, जबकि 186 आवेदक सत्यापन के लिए निर्धारित केंद्रों पर पहुंचे ही नहीं। जिले में कुल 582 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 1387 सीटें आरक्षित की गई थीं। इस बार आवेदन प्रक्रिया 7 मई से 21 मई तक चली, जबकि दस्तावेजों का सत्यापन 23 मई तक पूर्ण हुआ।
स्कूलों की मान्यता बनी बड़ी चुनौती
इस साल बड़ी संख्या में स्कूलों को मान्यता नहीं मिल पाई, जिसके चलते उन्हें आरटीई प्रवेश प्रक्रिया से बाहर रखा गया। ऐसे 100 से अधिक स्कूलों की सीटें पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं हुईं। शिक्षा विभाग ने बगैर मान्यता संचालित हो रहे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन स्कूलों की मान्यता शैक्षणिक सत्र 2025-26 या उसके आगे के लिए नहीं है, उन्हें इस साल की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। वहीं जिन स्कूलों ने आरटीई पोर्टल पर आगामी सत्र में संचालन न करने की सूचना दी है, उन्हें भी बंद स्कूल के रूप में लॉक कर दिया गया है। मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई प्रवेश प्रक्रिया से मुक्त रखा गया है। वहीं नए मान्यता प्राप्त स्कूलों में अभी अन्य छात्रों के प्रवेश न होने और यू-डाइस पोर्टल पर नामांकन शून्य होने के कारण उन्हें भी प्रवेश प्रक्रिया से दूर रखा गया है।
सीटों में आई 30 प्रतिशत की गिरावट
इस बार पोर्टल पर प्रथम कक्षा की उपलब्धता के आधार पर सीटों का प्रदर्शन किया गया है। पूर्व में चार कक्षाओं का औसत लेकर सीटें निर्धारित की जाती थीं। इसी वजह से इस साल सीटों की संख्या में करीब 30 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अतिरिक्त मान्यताएं निरस्त होने से भी सीटों की संख्या में कमी आई है।
अधिकारी बोले- प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी
डीपीसी अरुण शंकर पांडेय ने बताया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ संपन्न की जा रही है और प्रयास है कि शत-प्रतिशत बच्चों को उनके आवंटित स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाए। जिन आवेदकों ने सत्यापन नहीं कराया, वे प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। इस वर्ष की पूरी आरटीई प्रवेश प्रक्रिया एक ही चरण में पूरी की जा रही है, ताकि समयबद्ध तरीके से जरूरतमंद बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।