अब पिंकी व वीरपाल ने थामा हाथ
कुमारी पिंकी अहिरवार बीएससी और बीएड की डिग्री धारक हैं, छतरपुर के फूला देवी कॉलोनी की निवासी हैं। उनके पिता जुग्गी लाल अहिरवार रिटायर्ड लेखपाल (जल संसाधन विभाग) हैं। वहीं, वर पक्ष के कुंवर वीरपाल अहिरवार बीएससी, बीएड और आईटीआई की डिग्री धारक हैं, महोबा जिले के ग्राम छानीकला के निवासी हैं और वर्तमान में वे छतरपुर जिले के रेलवे स्टेशन चितहरी में कार्यरत हैं। इस शादी का सबसे खास पहलू यह है कि दोनों परिवारों ने दहेज की कुप्रथा को पूरी तरह से नकारते हुए बिना दहेज के इस विवाह को संपन्न किया। दोनों पक्षों ने यह फैसला लिया कि वे इस परंपरा को तोड़ते हुए एक नई शुरुआत करेंगे, जिससे समाज को एक सशक्त संदेश जाएगा। इस विवाह के फैसले के बाद दोनों परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। समाजसेवियों, कर्मचारियों, अधिकारियों और ईष्ट मित्रों ने इस पहल की सराहना की है और उन्हें बधाई दी है। खासकर, इस फैसले से न केवल परिवारों में खुशी का माहौल है, बल्कि समाज को भी एक नया संदेश मिला है कि दहेज के बिना भी विवाह संपन्न हो सकते हैं।
व्हाट्सएप ग्रुप का प्रभाव
यह विवाह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से हुआ है, जिसे छतरपुर जिले के समाजसेवियों और अधिकारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है। डॉ. कमलेश अहिरवार (वैज्ञानिक कृषि, छतरपुर), डॉ. आदेश कुमार (मेडिकल ऑफिसर, नागपुर), डॉ. मनोज कुमार अहिरवार (वरिष्ठ वैज्ञानिक दमोह) और रामशरण अहिरवार (सहायक कोषालय अधिकारी छतरपुर) द्वारा यह ग्रुप चलाया जाता है। इस ग्रुप के माध्यम से अब तक 15 विवाह हो चुके हैं।
निशुल्क सेवा की मुहिम
यह ग्रुप पूरी तरह से निशुल्क है और इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता। विवाह के लिए बायोडेटा और रिश्ते के प्रस्ताव के लिए ही इस ग्रुप में संदेश भेजे जाते हैं, और किसी अन्य प्रकार के संदेश या वीडियो का डालना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यदि कोई सदस्य इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे पहले चेतावनी दी जाती है, और अगर वह नहीं मानता तो उसे ग्रुप से हटा दिया जाता है। इस प्रकार, ग्रुप की शुद्धता और उद्देश्य को बनाए रखा जाता है।
समाज के लिए प्रेरणा
कुमारी पिंकी और कुंवर वीरपाल का यह विवाह दहेज रहित समाज की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समाज को यह संदेश देता है कि पारंपरिक प्रथाओं को तोड़ते हुए भी खुशहाल जीवन की शुरुआत की जा सकती है। इस विवाह के माध्यम से यह साबित होता है कि रिश्तों की मजबूती केवल पैसे या दहेज पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर आधारित होनी चाहिए। इस तरह के विवाह निश्चित ही समाज में जागरूकता फैलाते हैं और आने वाली पीढ़ी को दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश देते हैं। यह कदम निश्चित रूप से समाज के अन्य परिवारों को भी प्रेरित करेगा, ताकि वे भी इस कुप्रथा से छुटकारा पाकर अपने रिश्तों को एक नई दिशा दे सकें।
ममता की शादी से हुई 2 साल पहले शुरूआत
डॉ. कमलेश अहिरवार ने बताया कि हम लोगों ने चार साल पहले ग्रुप की शुरूआत की थी, मेरी भतीजी छतरपुर जिले के चंद्रनगर निवासी ममता अहिरवार पिता बहादुर अहिरवार(शिक्षक) की शादी लवकुशनगर के सिमराही गांव के नंदकुमार अहिरवार के बेटे संदीप अहिरवार के साथ दो साल पहले बिना दहेज के हुई, जिसके बाद दहेज के बिना शादी की शुरूआत हो गई। इसके बाद यूपी के डॉ. सूर्यकांत वर्मा ने मोनिका वर्मा से बिना दहेज शादी की। इन शादियों से प्रेरणा लेकर छतरपुर के सहायक कोषालय अधिकारी रामशरण अहिरवार के बेटे आदित्य आर शरण ने सतना के अशोक अहिरवार की बेटी रुचि अहिरवार सतना से बिना दहेज शादी तय कर दी है। इस ग्रुप के जरिए लखनऊ के आदित्य व शिल्पी, गोरखपुर के अभिषेक सिंह-प्रीति सिंह और झांसी के डॉ. नीरज सिंह- सीमा सिंह की शादी बिना दहेज के हुई है।