महिलाओं ने भी स्वच्छता की कमान संभाली
सुबह से ही तालाब परिसर में जनभागीदारी दिखाई दी। पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी स्वच्छता की कमान संभाली और करीब दो घंटे तक श्रमदान कर तालाब की काई, प्लास्टिक और अन्य कचरे को बाहर निकाला। इस दौरान स्वयंसेवकों ने न सिर्फ श्रमदान किया, बल्कि आने-जाने वाले लोगों को जल संरक्षण का महत्व भी समझाया।सामाजिक और तकनीकी संस्थाओं का भी सहयोग
नवांकुर संस्था के सहयोग से आयोजित इस अभियान में कई सामाजिक और तकनीकी संस्थाओं का भी सहयोग रहा। अनूप तिवारी (नवांकुर संस्था), हाइड्रोलॉजिस्ट राहुल दुबे, कृषि विशेषज्ञ इरशाद खान, परामर्शदाता वंदना तिवार, एमएसडब्ल्यू छात्र नेहा तिवारी,शिप्रा तिवारी और प्रीति पांडे शामिल थीं। सभी ने मिलकर तालाब की गहराई से कचरा निकाला।वैज्ञानिक महत्व
इस अवसर पर अनूप तिवारी ने कहातालाबों का शुद्ध जल ही हमारे पर्यावरण और जीवन की रक्षा करता है। अगर हम जल स्रोतों को जिंदा रखना चाहते हैं, तो ऐसे प्रयास नियमित और सामूहिक रूप से करने होंगे। वहीं, हाइड्रोलॉजिस्ट राहुल दुबे ने जल स्रोतों के वैज्ञानिक महत्व और भूमिगत जल स्तर पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।स्वच्छ जल देने की दिशा
महिला स्वयंसेवक शिप्रा तिवारी ने बताया कि यह केवल सफाई नहीं है, बल्कि हमारी अगली पीढ़ियों को स्वच्छ जल देने की दिशा में एक छोटा मगर महत्वपूर्ण कदम है। प्रताप सागर तालाब शहर के लिए ऐतिहासिक और पारंपरिक महत्व रखता है। यहां से आसपास के क्षेत्रों में न सिर्फ सौंदर्य, बल्कि जल आपूर्ति और भूजल स्तर संतुलन में भी सहायता मिलती है। ऐसे में इस तालाब की सफाई केवल एक प्रतीकात्मक गतिविधि नहीं, बल्कि जल संरक्षण का जीवंत उदाहरण बन गई। अभियान की सफलता के बाद स्वयंसेवकों ने सभी से आह्वान किया कि वे जल स्रोतों को न केवल स्वच्छ रखें, बल्कि उन्हें पुनर्जीवित करने में भी योगदान दें। इस अभियान ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक इच्छाशक्ति और मेहनत से हर सूखते स्रोत को जीवन मिल सकता है।