ग्राहकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार
बैंक प्रबंधन भवन मालिकों से एग्रीमेंट में पार्किंग व्यवस्था का उल्लेख तो करता है, लेकिन वास्तविकता इससे उलट है। जहां मामूली पार्किंग मौजूद है, वहां भी केवल बैंक स्टाफ के वाहन खड़े किए जाते हैं। ग्राहक, जिनसे लाखों रुपए का लेन-देन होता है, उन्हें सडक़ किनारे वाहन खड़े करने पर मजबूर किया जाता है। इसके चलते दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।
भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा की मनमानी सबसे आगे
छत्रसाल चौराहा से आकाशवाणी तिराहा के बीच स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में ग्राहक सबसे अधिक संख्या में पहुंचते हैं। बैंक का संचालन एक निजी भवन में हो रहा है, जिसके एग्रीमेंट में अंडरग्राउंड पार्किंग का स्पष्ट उल्लेख है। लेकिन यहां भी पार्किंग केवल स्टाफ के लिए आरक्षित है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर आम नागरिक तक यहां रोजाना पहुंचते हैं, लेकिन ग्राहकों को सडक़ किनारे वाहन खड़ा करना पड़ता है, जिससे यहां दिनभर जाम लगा रहता है।
यूनियन बैंक तक दो पहिया ले जाना बनी मुसीबत
सरस्वती सदन परिसर शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्रों में से एक है, वहां यूनियन बैंक का संचालन हो रहा है। परिसर में पहले से ही बड़ी दुकानों और शोरूम की भरमार है। चार पहिया वाहन ले जाना तो नामुमकिन है, लेकिन दो पहिया वाहन ले जाना भी जंग लडऩे से कम नहीं। यहां ग्राहकों को वाहन खड़ा करने तक की जगह नहीं मिलती। कई वृद्ध और महिलाएं पैदल ही बैंक तक पहुंचने को मजबूर हैं।
अन्य बैंक भी जाम का कारण
पीएनबी (जवाहर रोड)- पुरानी गैस एजेंसी के सामने संचालित, पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं।
बजाज फाइनेंस (पन्ना रोड)- कलेक्टर बंगले के पास संचालित, ग्राहक सडक़ पर वाहन खड़े करते हैं।
सद्भावना बैंक (जिला अस्पताल मार्ग)- बिना पार्किंग के संचालित, फुटपाथ तक अतिक्रमित।
एसबीआई कृषि विकास शाखा और एचडीएफसी बैंक (जवाहर रोड)- दोनों बैंकों के आस-पास दुकानें और व्यवसायिक परिसर, लेकिन पार्किंग शून्य।
नपा ने दी कार्रवाई की चेतावनी
इस पूरे मामले में नगरपालिका छतरपुर की सीएमओ माधुरी शर्मा ने कहा अगर कोई भी संस्थान तय नियमों का पालन नहीं कर रहा है, तो जांच कराई जाएगी। पार्किंग सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाएं नहीं मिलने पर नोटिस थमाया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
पत्रिका व्यू
सवाल यह है कि जब बैंकों से आमजन को सुविधा मिलनी चाहिए, तब वे शहर की सबसे बड़ी ट्रैफिक समस्या बनते जा रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ बैंकों की लापरवाही का परिणाम है, बल्कि प्रशासन की अनदेखी और निरीक्षण की कमी का भी द्योतक है। अब जरूरी है कि नगरपालिका, ट्रैफिक पुलिस और बैंकिंग प्रबंधन मिलकर व्यवस्थित पार्किंग की स्थायी व्यवस्था करें, ताकि न ग्राहक परेशान हों और न शहर की रफ्तार थमे।