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छतरपुर

देवरी बांध के 7, लहचूरा बांध के 5 फाटक खोलकर एक लाख क्यूसिक पानी धसान में छोड़ा

महोबा जिला प्रशासन द्वारा धसान नदी किनारे स्थित टपरन, लिलवा, काशीपुरा समेत अन्य गांवों में अलर्ट जारी करने के साथ-साथ धसान नदी के पानी पर नजर रखी जा रही है। प्रशासन अलर्ट जारी करने के साथ निगरानी कर रहा है।

छतरपुरJul 02, 2025 / 10:13 am

Dharmendra Singh

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45500 क्यूसिक पानी धसान नदी में सुरक्षित रूप से छोड़ा जा रहा

एमपी-यूपी सीमा पर धसान नदी पर बने देवरी बांध एवं लहचूरा बांध में लगातार बीते चार दिनों से जिले में बारिश होने के कारण ये लबालब हो गए हैं। जिसके चलते धसान नदी में एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। नदी के आसपास रहने वाले गांवों के लोगों को अलर्ट जारी किया गया है। देवरी बांध एवं लहचूरा बांध के बीच धसान नदी के गांवों में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। हालांकि अभी डरने जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि सुजारा बांध से अभी धसान नदी में पानी नहीं छोड़ा गया है। यह तो छतरपुर-टीकमगढ़ जिले में बीते दिनों से लगातार हो रही बारिश से डैम में पानी आ रहा है, क्योंकि दोनों बांध पूरी तरह भरे भी नहीं हैं।

एक लाख क्यूसिक पानी

देवरी बांध के 7 फाटक 1.20 मीटर एवं लहचूरा बांध के 5 फाटक 1.5 मीटर खोलकर एक लाख क्यूसिक पानी धसान नदी में डिस्चार्ज किया जा रहा है। महोबा जिला प्रशासन द्वारा धसान नदी किनारे स्थित टपरन, लिलवा, काशीपुरा समेत अन्य गांवों में अलर्ट जारी करने के साथ-साथ धसान नदी के पानी पर नजर रखी जा रही है। प्रशासन अलर्ट जारी करने के साथ निगरानी कर रहा है।सुजारा बांध के संबंध में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जेई रामआसरे यादव ने बताया कि एक जुलाई को सुबह 11.00 बजे धसान नदी पर स्थित लहचूरा बांध में पहाड़ी बांध एवं सुखनई नदी से प्राप्त इनफ्लो के कारण पानी की आवक बढ़ने के कारण बांध की सुरक्षा हेतु वर्तमान में लहचूरा बांध के 5 गेट 1.50 मीटर ऊंचाई से खोलकर 45500 क्यूसिक पानी धसान नदी में सुरक्षित रूप से छोड़ा जा रहा है।धसान नदी में पानी की आवक बढ़ रही है। नदी किनारे स्थित ग्रामों के समस्त ग्रामवासियों, चरवाहों व मछुआरों आदि से निवेदन है कि कृपया वर्षाकाल में नदी से दूर रहें ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना या जान-माल की हानि न हो, इसीलिए मुनादी करवाई गई है।
खरीफ फसलों की बेहतर पैदावार के लिए कृषि विभाग ने किसानों को रिज एंड फैरो पद्धति अपनाने की सलाह दी है। इस पद्धति को मेढ़-नाली पद्धति भी कहा जाता है, जिसमें खेतों में मेड़ और नाली बनाई जाती है। अगर मानसून के दौरान कम बारिश होती है तो खेत में बने मेड़ की नमी फसल के लिए लाभदायक होती है, वहीं अगर बारिश अधिक होती है तो मेड़ के नीचे बनी नाली अतिरिक्त पानी खेत से बाहर निकाल देती है। इससे फसल को पानी के ठहराव से बचाया जा सकता है और पौधों को खराब होने से रोका जा सकता है।
फसल की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना आवश्यक है, ताकि बीज रोगमुक्त और मजबूत हों। साथ ही, यदि किसान बाजार से बीज खरीदते हैं तो दुकानदार से पक्का बिल जरूर लें ताकि अफलन जैसी परिस्थिति में किसानों को बीमा का दावा करने में आसानी हो।

मानसून बेहतर, बारिश का आंकड़ा 12.1 इंच तक पहुंचा

1 जून 2025 से 1 जुलाई 2025 के बीच छतरपुर जिले में औसतन 307.7 मिमी (12.1 इंच) वर्षा दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुई 119.2 मिमी (4.7 इंच) वर्षा की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है। इस वर्ष कुल वर्षा 2461.6 मिमी (96.9 इंच) रही है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह केवल 953.4 मिमी (37.5 इंच) थी। जिले की सामान्य वार्षिक वर्षा 1074.9 मिमी (42.3 इंच) मानी जाती है। वर्तमान वर्षा के आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि मानसून इस बार जिले में अच्छी गति से सक्रिय है। यह स्थिति कृषि कार्यों, जलस्तर तथा जल संचयन के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जा रही है। मौसम विभाग और जिला प्रशासन लगातार वर्षा की निगरानी कर रहे हैं और किसानों को जरूरी सलाह भी दी जा रही है।
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश के आंकड़ेस्थान वर्षा (मिमी) इंच मेंबड़ामलहरा 160.0 6.3बिजावर 152.2 6.0छतरपुर 80.8 3.2लवकुशनगर 46.0 1.8नौगांव 24.0 0.9राजनगर 20.8 0.8बकस्वाहा 18.0 0.7गौरिहार 4.2 0.2इनका कहना हैरिज एंड फैरो पद्धति के जरिए किसानों को कम या ज्यादा बारिश के कारण होने वाले नुकसान से बचाव मिलता है। किसानों से अपील है बीज कीटनाशक बिल पर ही खरीदें।बीआर वैद्य, सहायक संचालक कृषि

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