script19 साल बाद भी इंतजार में शासकीय महाविद्यालय बड़ामलहरा, न पर्याप्त नियमित शिक्षक, न बुनियादी सुविधाएं | Even after 19 years, Government College Badamalhara is still waiting, neither enough regular teachers nor basic facilities | Patrika News
छतरपुर

19 साल बाद भी इंतजार में शासकीय महाविद्यालय बड़ामलहरा, न पर्याप्त नियमित शिक्षक, न बुनियादी सुविधाएं

19 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भी यह महाविद्यालय आज भी नियमित शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं के अभाव और अधूरी घोषणाओं की मार झेल रहा है। यह वही महाविद्यालय है जिसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006 में उपचुनाव के दौरान की थी।

छतरपुरMay 06, 2025 / 10:38 am

Dharmendra Singh

goverment colleage

शासकीय महाविद्यालय

छतरपुर/बड़ामलहरा. बुंदेलखंड के शैक्षणिक पिछड़ेपन की एक और गंभीर तस्वीर बड़ामलहरा का शासकीय महाविद्यालय पेश कर रहा है। 19 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भी यह महाविद्यालय आज भी नियमित शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं के अभाव और अधूरी घोषणाओं की मार झेल रहा है। यह वही महाविद्यालय है जिसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006 में उपचुनाव के दौरान की थी। लेकिन यह घोषणा आज भी जमीन पर पूरी तरह अमल में नहीं आई है।

आदिवासी छात्रावास में शुरू हुआ था संचालन

05 सितंबर 2006 को आनन-फानन में आदिवासी बालक छात्रावास के भवन में कॉलेज का संचालन शुरू किया गया था। उस समय उम्मीद जताई गई थी कि आने वाले कुछ वर्षों में महाविद्यालय का भव्य भवन, पर्याप्त शिक्षक और शिक्षण-सहायता सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। हालांकि अब 19 वर्ष बीत चुके हैं, कॉलेज को भले ही अपना भवन मिल गया हो, लेकिन शिक्षण और बुनियादी ढांचे की हालत अब भी दयनीय बनी हुई है।

1700 से अधिक छात्र, जगह की भारी कमी

महाविद्यालय में पिछले शैक्षणिक सत्र में 1700 से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित रहे। मौजूदा प्रवेश प्रक्रिया में और भी छात्रों के जुडऩे की संभावना है, लेकिन महाविद्यालय में इतनी संख्या के अनुरूप न तो कक्ष उपलब्ध हैं और न ही पढ़ाई के लिए उपयुक्त माहौल। चार साल पहले छह अतिरिक्त कक्षों की स्वीकृति मिली थी, जिनका निर्माण अभी प्रगति पर है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन कक्षों के निर्माण से छात्रों को बैठने की सुविधा कुछ हद तक बेहतर होगी।

विज्ञान संकाय का आश्वासन, लेकिन अमल अब तक नहीं

कॉलेज में वर्तमान में बीए, बीकॉम, एमए (राजनीति विज्ञान) जैसे पाठ्यक्रम संचालित हैं। स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि कॉलेज में विज्ञान संकाय की भी शुरुआत हो, जिसके लिए तीन वर्ष पहले आश्वासन दिया गया था। लेकिन आज तक यह संकाय शुरू नहीं हो पाया है। छात्र नवीन शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन न तो उसके लिए पुस्तकें हैं और न ही संसाधन।

पुस्तकालय के लिए बजट नहीं, दान से जुटाईं किताबें

कॉलेज की स्थापना के 19 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन यहां पुस्तकालय के लिए आज तक एक रुपया भी बजट में स्वीकृत नहीं हुआ। छात्र-छात्राएं अब भी पुरानी पाठ्यपुस्तकों से पढ़ाई करने को मजबूर हैं, वो भी अधिकांश दान में मिली हुई हैं। यह स्थिति न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि छात्रों के आत्मविश्वास को भी ठेस पहुंचाती है।

शिक्षकों की स्थिति भी बेहतर नहीं

कॉलेज में शिक्षकों के 12 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से केवल 6 पदों पर नियमित शिक्षक हैं, इन छह नियमित शिक्षकों में से 3 शिक्षक इंदौर व ग्वालियर में प्रतिनियुक्ति पर हैं। शेष 3 शिक्षकों में एक भूगोल व एक कॉमर्स पढ़ा रहे है, जबकि, एक शिक्षक खेल शाखा देख रहे हैं। 6 अतिथि विद्वान यानी मेहमान शिक्षक अन्य विषय पढ़ा रहे हैं। यह स्थिति शिक्षण की निरंतरता और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करती है। किसी भी विषय की गहराई से पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही है।

बाउंड्रीवॉल नहीं, जमीन पर अतिक्रमण का खतरा

महाविद्यालय नगर से 4 किमी दूर धौर्रा मार्ग पर 10 एकड़ की राजस्व भूमि पर स्थित है। लेकिन संस्थान के चारों ओर अब तक बाउंड्रीवॉल नहीं बनी है, जिससे यह ज़मीन अतिक्रमण की चपेट में आ रही है। कॉलेज प्रशासन ने कई बार विभाग को पत्र भेजे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जमीन की सुरक्षा पर बड़ा सवाल बना हुआ है।

जनप्रतिनिधियों के वादे रहे कोरे

संस्थान में समय-समय पर कार्यक्रमों के दौरान जनप्रतिनिधि जरूर आते हैं, लेकिन उनकी घोषणाएं सिर्फ मंच तक सीमित रहती हैं। पूर्व विधायक प्रधुम्न सिंह लोधी ने कॉलेज से कृषि उपज मंडी तक सीसी रोड और कॉलेज तक बस सेवा शुरू कराने की घोषणा की थी, लेकिन ये वादे आज तक अधूरे हैं। इसी तरह बाउंड्रीवॉल निर्माण का भी केवल आश्वासन मिला, हकीकत में कुछ नहीं हुआ।

इनका कहना है

महाविद्यालय में विज्ञान संकाय शुरु कराने के लिए लगातार पत्राचार किए गए। विभागीय तौर पर अभी तक कोई सकारात्मक रुझान नहीं मिला।

अंकुर तिवारी, प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय बड़ामलहरा

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