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छतरपुर शहर में अमृत योजना के बाद भी कई इलाकों में बूंद-बूंद को तरस रहे लोग

कई ऐसे इलाके हैं जो नगर पालिका की पाइप लाइन के नक्शे पर तो जुड़ चुके हैं, लेकिन हकीकत में वहां कोई पानी नहीं पहुंच रहा। टंकी बनाना भी अधूरा है या गलत स्थानों पर बनाकर छोड़ दिया गया है, जहां ऊंचाई की वजह से पानी भर ही नहीं पाता।

छतरपुरMay 31, 2025 / 10:22 am

Dharmendra Singh

water crisis

पानी समस्या

कभी उम्मीदों की लहर लेकर आई थी अमृत योजना। शहर के हर घर तक नल से शुद्ध पानी पहुंचाने का वादा किया गया था। नगर पालिका ने दावा किया था कि 28 हजार घरों को जोड़ दिया गया है। लेकिन शहर की अनगढ़ टौरिया, नारायण बाग और नारायणपुरवा जैसी बस्तियों में आज भी लोग बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। गर्मी चरम पर है, और जल संकट ने कई इलाकों की रफ्तार रोक दी है।

हैंडपंप के सहारे रहवासी

वार्ड 15 की अनगढ़ टौरिया में सुबह होते ही लोग बाल्टी और बर्तन लेकर इकलौते हैंडपंप पर लाइन लगाने लगते हैं। यहां दोपहर तक पानी खत्म हो जाता है। करीब ढाई सौ घरों को सात साल पहले अमृत योजना के तहत नल कनेक्शन तो दे दिए गए, लेकिन इनमें से अधिकतर सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। न कोई पानी आता है, न कोई व्यवस्था।

रामबाई नागर की दास्तां

65 वर्षीय रामबाई नागर बताती हैं, जब पाइप लाइन बिछी थी, सोचा था कि अब हर सुबह चैन से नल खोलेंगे और पानी मिलेगा। लेकिन अब सात साल हो गए, एक बूंद पानी भी इस नल से नहीं टपका। रोज 300 मीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है।

सिर्फ एक टंकी, 50 परिवार आश्रित

नगर पालिका ने ट्रैक्टर से एक 2000 लीटर की टंकी में पानी भरना शुरू किया है, लेकिन वह दिन में सिर्फ एक बार आता है और उतना भी 50 से अधिक परिवारों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। कई बार तो पानी आने से पहले ही खत्म हो जाता है। बच्चों और बुजुर्गों को भीषण गर्मी में पानी की तलाश में दूर-दूर जाना पड़ रहा है।

टूटे वादे, अधूरी पाइप लाइन और लीकेज का दर्द

शहर में पाइप लाइन बिछाने के काम में मापदंडों की अनदेखी की गई। महोबा रोड, आकाशवाणी तिराहा जैसे कई इलाकों में लाइन अक्सर लीक होती है। गहराई से पाइप न बिछाने और घटिया गुणवत्ता की पाइपों का इस्तेमाल करने से आए दिन मरम्मत करनी पड़ती है। इसका असर यह होता है कि जिन घरों में पानी पहुंच भी रहा है, वहां प्रेशर इतना कम है कि भरना मुश्किल हो जाता है।

चेतगिरि कॉलोनी की ममता की पीड़ा

चेतगिरी कॉलोनी की ममता कहती है हमने सोचा था कि अमृत योजना से जिंदगी आसान हो जाएगी, लेकिन आज भी टंकी में पानी भरने का इंतजार करना पड़ता है। ऊपर से जब पानी नहीं आता तो नपा वाले कहते हैं कि शिकायत दर्ज कराएं, लेकिन वह शिकायत सिर्फ कंप्यूटर में दर्ज होती है, जमीन पर कुछ नहीं होता।

जलकर बिल की भी सजा

बड़ी विडंबना यह है कि जिन लोगों को पानी तक नसीब नहीं है, उन्हें नगर पालिका जलकर का बिल भेज रही है। एकमुश्त बिल थमा दिए जाते हैं, जिससे गरीब परिवार भुगतान नहीं कर पाते और मामला सीधा लोक अदालत पहुंचता है। कई लोगों का कहना है कि अगर हर माह नियमित बिल दिया जाए, तो भुगतान आसान होता।

नक्शे पर मौजूद, जमीन पर नहीं

कई ऐसे इलाके हैं जो नगर पालिका की पाइप लाइन के नक्शे पर तो जुड़ चुके हैं, लेकिन हकीकत में वहां कोई पानी नहीं पहुंच रहा। टंकी बनाना भी अधूरा है या गलत स्थानों पर बनाकर छोड़ दिया गया है, जहां ऊंचाई की वजह से पानी भर ही नहीं पाता। अनगढ़ टौरिया की राधाबाई पाल कहती हैं, हमने कई बार नगर पालिका, पार्षद, 181 हेल्पलाइन तक शिकायत की। हर बार कहा गया कि समस्या का समाधान जल्द होगा, लेकिन न नल चालू हुआ, न टंकी भरी। हमारी जिंदगी अब सिर्फ पानी ढोने में बीत रही है।

नगरपालिका का दावा, शिकायत नहीं आई

मुख्य नगर पालिका अधिकारी माधुरी शर्मा का कहना है, अब तक किसी वार्ड से पेयजल संकट की शिकायत नहीं आई है। जहां अमृत परियोजना का पानी नहीं पहुंचा है, वहां टैंकर से पानी भेजा जा रहा है। नई टंकियों का निर्माण भी किया जा रहा है।

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