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छतरपुर

सूरजपुरा में 1070 हेक्टेयर क्षेत्र में फास्फोराइट का विशाल भंडार, केंद्रीय मंत्रालय ने दी खनन की मंजूरी

भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार सूरजपुरा व इससे सटे पल्दा, सगौरिया, गरदौनियां में 1070 हेक्टेयर और इसी से लगे सागर जिले में 320 हेक्टेयर क्षेत्र में फास्फोराइट के उच्च गुणवत्ता वाले भंडार पाए गए हैं।

छतरपुरJun 28, 2025 / 10:38 am

Dharmendra Singh

mining office

खनिज कार्यालय

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में खनिज संसाधनों की अपार संभावनाओं को अब एक नई दिशा मिलती दिख रही है। छतरपुर जिले की बकस्वाहा तहसील के सूरजपुरा क्षेत्र में फास्फोराइट (फॉस्फेट रॉक) के विशाल भंडार की पुष्टि के बाद केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय ने इस क्षेत्र में खनन कार्य के लिए लीज स्वीकृत कर दी है। यह लीज सनफ्लैग आयरन एंड स्टील कंपनी को दी गई है, जिसे आगामी तीन वर्षों के भीतर खनन प्रक्रिया प्रारंभ करनी होगी।

भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण में मिला था भंडार

विशेषज्ञों की टीम द्वारा सूरजपुरा में किए गए भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार सूरजपुरा व इससे सटे पल्दा, सगौरिया, गरदौनियां में 1070 हेक्टेयर और इसी से लगे सागर जिले में 320 हेक्टेयर क्षेत्र में फास्फोराइट के उच्च गुणवत्ता वाले भंडार पाए गए हैं। इस खोज को खनन के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, जिससे छतरपुर अब खनिज समृद्ध जिलों की सूची में प्रमुखता से स्थान पा सकता है। इस खनन परियोजना को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह न केवल जिले की आर्थिक दिशा को बदलेगी, बल्कि रोजगार और क्षेत्रीय विकास के नए अवसर भी प्रदान करेगी।

फास्फोराइट का ये होता है उपयोग

फास्फोराइट एक अवसादी खनिज चट्टान है, जो फॉस्फोरस का प्रमुख स्रोत होती है। इसका व्यापक उपयोग कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में किया जाता है, वहीं पशु आहार, डिटर्जेंट, रसायनों, सिरेमिक, डाई, प्लास्टिक और अन्य औद्योगिक उत्पादों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में इसकी मांग निरंतर बनी रहती है, जिससे इसका खनन और दोहन आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।

खनन के लिए मिली केंद्रीय मंजूरी

सनफ्लैग आयरन एंड स्टील को मिली यह लीज फिलहाल खनन कार्य प्रारंभ करने की एक बड़ी स्वीकृति है। हालांकि खनन की शुरुआत से पहले कंपनी को पर्यावरणीय स्वीकृति, वन विभाग की अनापत्ति और राज्य खनिज विभाग की औपचारिक अनुमति प्राप्त करनी होगी। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने में समय लग सकता है, लेकिन अगर सब कुछ नियमानुसार चलता है तो तीन वर्षों के भीतर खनन कार्य शुरू हो सकता है।

खनन योजना तैयार की जाएगी

इस परियोजना के लिए कंपनी को एक विस्तृत खनन योजना तैयार करनी होगी, जिसमें खनन के तकनीकी चरण, श्रमिकों की नियुक्ति, पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन, अपशिष्ट प्रबंधन, परिवहन और सुरक्षा उपायों का समावेश अनिवार्य होगा। यह योजना सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी और स्वीकृति मिलने के बाद ही जमीन पर काम शुरू हो सकेगा।

रोजगार और आर्थिक विकास की संभावनाएं

इस खनन परियोजना के शुरू होने से छतरपुर जिले के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। परियोजना में कुशल, अर्धकुशल और अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, खनन से संबंधित परिवहन, मशीनरी, भंडारण, भोजन, सुरक्षा और अन्य सहायक सेवाओं में भी बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होगा।

खनिज कोष में आय से होंगे विकास कार्य

स्थानीय प्रशासन का मानना है कि इस परियोजना से होने वाला राजस्व जिले की आधारभूत सुविधाओं जैसे सडक़ निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और पेयजल योजनाओं में निवेश किया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि क्षेत्रीय असमानता को भी कम किया जा सकेगा।

इनका कहना है

सूरजपुरा क्षेत्र में 1070 हेक्टेयर में फास्फोराइट सर्वे में पाया गया था, जिसका प्रस्ताव भेजा गया था। केंद्रीय खनन मंत्रालय ने सूरजपुरा के लिए मंजूरी दी है।

अमित मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर, खनिज

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