इस परीक्षा का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2024 में किया गया था। जिले के 98 सरकारी और निजी स्कूलों ने इसमें सक्रिय सहभागिता निभाई थी। कलेक्टर पार्थ जैसवाल और जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार के नेतृत्व में आयोजित इस सर्वे में जिले की प्रशासनिक और शैक्षिक मशीनरी की सजगता स्पष्ट रूप से झलकी।
तीन कक्षाएं, पांच विषय, लाखों विद्यार्थी
परख’ यानी नेशनल अचीवमेंट सर्वे कक्षा 3, 6 और 9 के विद्यार्थियों की शैक्षिक दक्षता को मापने के लिए आयोजित किया गया था। यह एक ऐसा प्रयास है जो देशभर के छात्रों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन कर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस कदम साबित होता है। इस सर्वे में छात्रों का आकलन विभिन्न विषयों में किया गया। कक्षा 3 के लिए भाषा और गणित, कक्षा 6 के लिए गणित, भाषा एवं पर्यावरण अध्ययन तथा कक्षा 9 के लिए भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों को शामिल किया गया था।
रैंकिंग में जिले की उत्कृष्टता
मध्यप्रदेश की टॉप-10 सूची में शामिल होना छतरपुर के लिए गौरव का विषय है। इतना ही नहीं, कक्षा 3 के प्रदर्शन के आधार पर जिले को प्रदेश में टॉप-5 में स्थान मिला है। यह उपलब्धि विद्यार्थियों, शिक्षकों और जिला शिक्षा प्रशासन की टीम भावना का प्रतिफल है। डीपीसी अरुण शंकर पांडेय ने बताया कि यह परीक्षा सिर्फ छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन नहीं, बल्कि यह नीति निर्माताओं, स्कूल प्रशासकों, शिक्षकों और अभिभावकों को यह समझने का अवसर भी प्रदान करती है कि देश की शिक्षा व्यवस्था किन क्षेत्रों में सुदृढ़ है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
सिर्फ परीक्षा नहीं, शिक्षा सुधार का रोडमैप
सर्वेक्षण के अंतर्गत न केवल छात्रों के ज्ञान की गहराई को परखा गया, बल्कि शिक्षा को प्रभावित करने वाले तमाम घटकों का भी मूल्यांकन किया गया जैसे कि स्कूलों की आधारभूत सुविधाएं, शिक्षकों की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम की उपयुक्तता, शिक्षण पद्धति और आकलन प्रणाली। 2021 के बाद यह दूसरा व्यापक सर्वे था। 2021 में हुए एनएएस में देशभर के एक लाख से अधिक स्कूलों के लगभग 34 लाख छात्रों ने भाग लिया था। वहीं इस बार 2024 में हुए सर्वे की रैंकिंग अब सार्वजनिक की गई है।
छात्रों के प्रदर्शन से बनेगा भविष्य का खाका
यह सर्वे सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि देश के शैक्षणिक ढांचे को बेहतर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इससे न केवल यह समझने में मदद मिलती है कि विद्यार्थी किन क्षेत्रों में पीछे हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि किन उपायों से उन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है। छतरपुर की इस सफलता से स्पष्ट है कि जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और स्थानीय स्कूलों की सामूहिक कोशिशें रंग ला रही हैं। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में भी छतरपुर शिक्षा के क्षेत्र में अपने प्रदर्शन को लगातार बेहतर बनाए रखेगा और प्रदेश को गौरवान्वित करता रहेगा।