ग्रामीण इलाके में हालाता ज्यादा खराब
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की स्थिति का जायजा लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माना कि स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा में सुधार के प्रयासों को गंभीर धक्का लगा है। वर्तमान में जिले में 44 विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है, जो अस्पतालों में प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए आवश्यक हैं।
निजी डॉक्टरों के साथ अनुबंध का प्रयास
नई पॉलिसी के तहत राज्य शासन ने यह प्रावधान रखा था कि प्राइवेट स्पेशलिस्ट डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देंगे। इसके लिए रोगी कल्याण समिति के माध्यम से बिना आउटसोर्स एजेंसी के डॉक्टरों को अनुबंधित किया जाएगा। यह अनुबंध एक साल के लिए होगा और अगर डॉक्टर का प्रदर्शन अच्छा रहेगा तो इसे नवीनीकरण का मौका दिया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई कि निजी स्पेशलिस्ट डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
संजीवनी क्लीनिक को मिले डॉक्टर
अब तक जिले में सिर्फ दो अस्पतालों में ही निजी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के साथ अनुबंध हो सका है, जबकि बाकी सभी अस्पतालों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। जिले के कई अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है, और यह कमी सिर्फ छतरपुर शहर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी इसका असर पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जिले के अमानगंज और टौरिया स्थित संजीवनी क्लीनिक में दो निजी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने अनुबंध किया है। हालांकि, ये क्लीनिक जिले के बड़े अस्पतालों से दूर स्थित हैं, और वहां मरीजों की संख्या भी सीमित रहती है। इसके बावजूद, यह छोटी शुरुआत बताई जा रही है जो भविष्य में अन्य क्षेत्रों में इस नीति को लागू करने की उम्मीद जगाती है।
अन्य स्थानों पर नहीं मिला कोई आवेदन
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जिले के किसी भी अन्य स्वास्थ्य केंद्र या संजीवनी क्लीनिक के लिए कोई भी आवेदन नहीं आया है। हालांकि, जिला अस्पताल में कुछ स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन अभी तक कोई भी औपचारिक अनुबंध नहीं हुआ है।
डॉक्टरों के चयन की प्रक्रिया
विशेषज्ञ डॉक्टरों को अनुबंधित करने के लिए यह शर्त रखी गई है कि उनके पास भारतीय चिकित्सा परिषद या राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त वैध चिकित्सा डिग्री और विशेषज्ञता योग्यता होनी चाहिए। इसके साथ ही डॉक्टर का राज्य में प्रैक्टिस करने के लिए मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद से वैध लाइसेंस भी होना अनिवार्य है। इसके अलावा, कम से कम तीन साल का अनुभव भी डॉक्टर के लिए आवश्यक है, ताकि वे मरीजों का उचित उपचार कर सकें।स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए अधिकारियों की योजना
जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आरपी गुप्ता ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि हमारे पास स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है और यही कारण है कि हम निजी डॉक्टरों से अनुबंध करने की योजना पर काम कर रहे थे। हालांकि, स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, क्योंकि अमानगंज और टौरिया संजीवनी क्लीनिक में कुछ डॉक्टरों ने अनुबंध किया है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही अधिक डॉक्टरों को इस पहल से जोड़ा जाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर बेहतर होगा।”
पत्रिका व्यू
इस समय जिले के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। हालांकि, राज्य शासन द्वारा शुरू की गई इस नई पॉलिसी से सुधार की उम्मीद थी, लेकिन अब तक इसके अच्छे परिणाम सामने नहीं आए हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में इस योजना को और कैसे साकार किया जाएगा।