उपभोक्ताओं की परेशानी होगी कम
एसडीएम छतरपुर के आदेश अनुसार, विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायतों को सुनने और उनका समाधान करने के लिए प्रतिदिन 24 घंटे के लिए अलग-अलग पालियों में कुल छह पटवारी और संबंधित राजस्व अमला एमपीईबी कार्यालय में मौजूद रहेगा। प्रत्येक पाली में दो-दो पटवारियों को नियुक्त किया गया है। यह व्यवस्था उपभोक्ताओं की असुविधा को कम करने और विद्युत वितरण कंपनी तथा जिला प्रशासन के समन्वय को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
नोडल अधिकारी और समयवार ड्यूटी विभाजन
तहसीलदार नगर संदीप तिवारी को इस समस्त व्यवस्था का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिनसे उपभोक्ता मोबाइल नंबर 9479445900 पर सीधे संपर्क कर सकेंगे। उनके अधीन प्रतिदिन छह पालियों में ड्यूटी इस प्रकार निर्धारित की गई है। -प्रात: 08 बजे से दोपहर 12 बजे तक प्रीति गुप्ता एवं सुनीता शिवहरे – दोपहर 12 से शाम 04 बजे तक- रंजीत यादव एवं सरताज अहमद – शाम 04 से रात 08 बजे तक- अमित कुमार मिश्रा एवं हारून अहमद
– रात 08 से मध्यरात्रि 12 बजे तक- दयाराम अहिरवार एवं प्रतीक खरे – रात्रि 12 से सुबह 04 बजे तक- देवराज अहिरवार एवं वीरेन्द्र कुमार शुक्ला -सुबह 04 से 08 बजे तक संतोष शुक्ला
उच्चाधिकारियों के साथ करेंगे समन्वय
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह ड्यूटी हर दिन अनिवार्य रूप से उसी समयावधि में पूरी जिम्मेदारी से निभाई जाएगी। एमपीईबी परिसर में तैनात किए गए पटवारी न केवल शिकायतें सुनेंगे बल्कि तत्काल उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए समाधान के प्रयास भी करेंगे। छतरपुर जिले में गर्मी के इस भीषण दौर में लगातार विद्युत आपूर्ति में कटौती से आमजन बेहद परेशान है। इस व्यवस्था का उद्देश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों को बारीकी से सुनना, स्थानीय स्तर पर वास्तविक समस्याओं को समझना और उनके स्थायी समाधान के लिए विभागीय समन्वय को मजबूत बनाना है।
शिकायत के निराकरण का लेखा जोखा होगा तैयार
एसडीएम छतरपुर ने कहा है कि जिन पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें निर्देशित किया गया है कि वे समय पर अपनी पाली में उपस्थित रहें और प्रत्येक शिकायत का लेखा-जोखा बनाकर संबंधित अधिकारियों को सौंपें। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा यह पहल प्रदेश में एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में देखी जा रही है, जहां विद्युत विभाग की जवाबदेही तय करने के लिए राजस्व अमले की प्रत्यक्ष सहभागिता सुनिश्चित की गई है। इससे आमजन की शिकायतों के त्वरित निराकरण की संभावना बढ़ गई है।