संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन इन पारंपरिक आवासों को मध्यप्रदेश के पांच प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्रों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। प्रत्येक आवास में उस क्षेत्र की विशिष्ट वास्तुकला, वेशभूषा, लोक देवी-देवताओं और दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
मालवा- यहां के घरों में तेजाजी की पूजा और उनकी कथा के चित्रण को प्रमुखता दी गई है। निमाड़- भीलट देव के स्थल को उनके पारंपरिक अनुष्ठान और वस्त्रों के साथ दर्शाया गया है।
बघेलखंड- बसामन मामा की पौराणिक कथाओं के साथ बघेलखंड की विशिष्ट जीवनशैली को प्रदर्शित किया गया है। बुंदेलखंड- हरदौल की वीर गाथाओं को बुंदेली शैली के घरों में उकेरा गया है। चंबल- कारसदेव की पूजा पद्धति को चंबल क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर के साथ जोड़ा गया है।
जनजातीय लोक कला संग्रहालय का विस्तार यह सांस्कृतिक गांव आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय के परिसर में बनाया गया है, जहां पहले से ही गोंड, बैगा, भील, भारिया, कोरकू, कोल और सहरिया जनजातियों के पारंपरिक आवास और दैनिक उपयोग की वस्तुएं प्रदर्शित हैं। इनमें सांप-बिच्छू की मूर्तियां, चौखट, खेत की मेड़, धान कूटने वाली ढेकी, चक्की, सिलबट्टा जैसी वस्तुएं शामिल हैं, जो उन जनजातियों की कला और संस्कृति का सजीव अनुभव कराती हैं।
देश के पहले गुरुकुल का निर्माण भी जारी इस परिसर में देश का पहला गुरुकुल भी स्थापित किया जा रहा है, जहां भारतीय परंपरा और संस्कारों के अनुरूप शिक्षा दी जाएगी। यह गुरुकुल संस्कृति विभाग और आदिवर्त जनजातीय लोक राज्य कला संग्रहालय की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है। संग्रहालय के प्रभारी अशोक मिश्रा ने बताया हमारा उद्देश्य खजुराहो आने वाले पर्यटकों को मध्य प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और जनजातियों की जीवनशैली को एक ही परिसर में समझने का अवसर देना है।