जानकारी के अनुसार साड़ास के भीलों का झोंपड़ा गांव में शायरी उर्फ शांतिदेवी (७0) पत्नी मगनीराम भील, सूरज (8) पुत्र सुरेश तथा रतन उर्फ राजू (12) पुत्र कैलाश भील गुरुवार रात तेज आंधी चलने के दौरान एक कच्ची दीवार के पास बैठे हुए थे।
अचानक तेज आवाज के साथ दीवार ढ़ह गई। जिससे तीनों दीवार के मलबे में दब गए। ग्रामीणों ने तीनों को मलबे से बाहर निकालकर भीलवाड़ा के राजकीय महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचाया, जहां शायरी व सूरज की मौत हो गई। जबकि रतन उर्फ राजू का उपचार जारी है।
अनुसंधान अधिकारी उप निरीक्षक आजाद पटेल एवं रघुनाथपुर ग्राम पंचायत प्रशासक भवानीराम जाट ने बताया कि भील समाज के एक परिवार में 27 मई को शादी समारोह होने से गुरुवार को परिवार के सदस्य मकान के चौक में बैठे थे। इसी दौरान मकान की दीवार ढ़हने से यह हादसा हो गया।
गांव में मच गया कोहराम
भीलों का झोंपड़ा गांव में करीब पचास घरों की बस्ती है। हादसे के बाद मृतकों के परिवारों सहित पूरे गांव में कोहराम मच गया। मृतकों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
साहब! मेरे बच्चे को बचा लो
भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में सूरज का पिता उपचार कर रहे चिकित्साकर्मी के सामने हाथ जोड़कर गुहार करने लगा। साहब! मेरे बच्चे को बचा लो। लेकिन, विधि का विधान कुछ अलग ही रहा। बालक की उपचार के दौरान मौत हो गई। कलेजे के टुकड़े की आंखों के सामने सांसें उखड़ने से सूरज की देह से उसकी मां लिपट गई। उसकी आंखों से आंसू थम नहीं पा रहे थे। जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखें नम हुए बिना नहीं रही। दोनों मृतकों के शव अस्पताल की मोर्चरी में रखवाए गए हैं। शुक्रवार को सुबह पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिए और उनका अंतिम संस्कार किया गया।