रिपोर्ट के मुताबिक, सचिन तेंदलुकर के पटौदी ट्रॉफी की विरासत को बरकरार रखने के अनुरोध पर BCCI और ECB भी सहमत हो गए हैं। सचिन तेंदुलकर का यह अनुरोध पूरा हो, इसमें आईसीसी अध्यक्ष जयशाह ने भी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पटौदी विरासत के संबंध में ECB की ओर से पुष्टि की गई है, लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी शेयर नहीं की गई हैं। इस बात की अटकलें लगाई जा रही है कि पटौती पदक विजेता कप्तान या सीरीज के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को दिया जाएगा। इस तरह यह पटौदी विरासत जारी रह सकती है।
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी को WTC 25 फाइनल के दौरान लॉन्च किया जाना था, लेकिन अहमदाबाद में हुए विमान दुर्घटना के चलते 14 जून को होने वाला कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। अब इसके लिए नई तारीख की घोषणा उपयुक्त समय पर की जाएगी।
क्या है विवाद?
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने अपने घरेलू सरजमीं पर आयोजित होने वाली पटौदी ट्रॉफी को दो दिग्गजों सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन के नाम करने का निर्णय लिया। भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का नाम बदले जाने के फैसले क्रिकेट प्रशंसक ही नहीं बल्कि खुद पटौदी फैमिली भी नाराज हो गई। मामले को तूल पकड़ता देख सचिन तेंदुलकर स्वयं सामने आए और उन्होंने दोनों बोर्ड से पटौदी विरासत को बनाए रखने का अनुरोध किया। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट के 75 वर्ष पूरे होने पर 2007 में पहली बार पटौदी ट्रॉफी शुरू किया गया था। यह ट्रॉफी पटौदी परिवार के नाम पर रखी गई थी, जिसने भारतीय क्रिकेट को दो कप्तान- इफ्तिखार अली खान पटौदी और मंसूर अली खान पटौदी दिए। इफ्तिखार अली खान पटौदी तीन मौकों पर दोनों अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए खेले है। इंग्लैंड और भारत के लिए खेलने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं।