ब्रॉड ने एक्स पर लिखा , ‘इस तरह की स्थिति को रोकने के लिए स्वतंत्र मैच अधिकारियों को लाया गया था। आईसीसी पक्षपात और भ्रष्टाचार के ‘बुरे पुराने दिनों’ में क्यों लौट रहा है?’ इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन की टिप्पणी पर भी ब्रॉड ने प्रतिक्रिया दी। पीटरसन ने कहा था कि हर्षित राणा शिवम दुबे के लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट नहीं थे। इसपर ब्रॉड ने कहा, ‘मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं। कोई भारतीय मैच रेफरी भारत को इस तरह के सब्सीट्यूट की कैसे अनुमति दे सकता है। मैच अधिकारियों को पक्षपात रोकने के लिए काम करना चाहिए!’
उल्लेखनीय है कि चौथे टी20 में हर्षित राणा को शिवम दुबे की जगह बतौर कन्कशन सब्स्टीट्यूट शामिल किया गया था। शिवम को बल्लेबाजी के दौरान सिर में चोट लग गई थी। भारतीय पारी के अंतिम ओवर में जेमी ओवर्टन की पांचवीं गेंद शिवम के हेलमेट पर लगी वह चोट के बाद केवल एक गेंद खेल पाये। बाद में जब भारतीय टीम गेंदबाजी करने उतरी तो शिवम की फील्ड पर नहीं आए लेकिन 5 ओवर के बाद कन्कशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर हर्षित को टीम में लिया गया। जिसके बाद मैच पूरी तरह से पलट गया। राणा ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए चार ओवर में 33 रन देकर तीन विकेट लिए। जिसकी वजह से इंग्लैंड यह मैच हार गया।
इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर ने मैच के बाद नियम के लागू होने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि , “जब एक ऑलराउंडर को एक विशेषज्ञ गेंदबाज से रिपलेस किया जाता है तो यह ठीक नहीं है। हर्षित शिवम के लाइक-फॉर-लाइक सब्सटीट्यूट नहीं थे।” केविन पीटरसन, एलिस्टेयर कुक और माइकल वॉन सहित कई पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटरों ने भी इस निर्णय की आलोचना की है। कुक ने कहा, ‘ऑलराउंडर को विशेषज्ञ गेंदबाज से बदलने का कोई मतलब नहीं है।’
वाॅन ने सवाल किया कि एक पूर्णकालिक गेंदबाज अंशकालिक गेंदबाज की जगह कैसे लिया जा सकता है, जिससे विवाद और बढ़ गया। दुबे ने अपने 34 टी20 मैचों में से 23 में गेंदबाजी की है, लेकिन उन्होंने अपने करियर में केवल दो बार अपने चार ओवरों का पूरा कोटा पूरा किया है, जिससे इस बात की जांच हो रही है कि क्या वह एक वास्तव में ऑलराउंडर के योग्य हैं।