योजना के तहत निजी एजेंसी को घर-घर से कचरा एकत्र कर ट्रेंङ्क्षचग ग्राउंड में डंप करना और नियमानुसार उसका निष्पादन करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया पर करीब सालाना 12 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। जिसमें से 4.5 करोड़ रुपए सिर्फ कचरा कलेक्शन और परिवहन पर खर्च होंगे। सीएमओ प्रदीप शर्मा ने बताया है कि यह राशि नपा द्वारा देय नहीं की जाएगी बल्कि निजी एजेंसी को ही उक्त राशि लोगों के घरों से वसूलना होगी। इधर, कुछ पार्षदों का आरोप है कि कुछ माह पहले नपा ने आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों को हटा दिया था, जिससे सफाई व्यवस्था प्रभावित हो गई। अब करोड़ों रुपए के इस प्रोजेक्ट को निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी हो रही है। इस कारण सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी रणनीति के तहत आउटसोर्स कर्मियों को हटाया गया, ताकि निजीकरण का रास्ता साफ किया जा सके।
इस निर्णय का कई जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब तक कचरा कलेक्शन में इस तरह से मासिक शुल्क नहीं वसूला गया है, लेकिन अब अचानक शुल्क लगाना लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालने जैसा है। साथ ही इसकी वसूली करने वाली एजेंसी को मनमाफिक फायदा पहुंचाना है। विरोध करने वालों का कहना है कि ऐसे मामलों में पहले जनता से रायशुमारी की जानी चाहिए थी। बता दें कि फिलहाल कचरा कलेक्शन सुविधा के नाम पर नपा द्वारा करीब साढ़े चार सौ रुपए सालाना कर कर रोपित किया जाता है। जिसमें दस प्रतिशत लोग ही यह भुगतान करते हैं।
कुछ लोग इसे सफाई व्यवस्था सुधारने का अच्छा कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे अनावश्यक आर्थिक बोझ बता रहे हैं। विरोध कर रहे जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इससे नपा को भले ही राशि न खर्च करनी पड़े, लेकिन हर माह एजेंसी को 35 से 40 लाख की वसूली कराने से अत्याधिक लाभ पहुंचाना है।
प्रदीप शर्मा, सीएमओ दमोह