रिजर्व प्रबंधन के अनुसार, गौर को लाने की योजना वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। गौर भारत का सबसे बड़ा जंगली मवेशी है और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गौर के आने से रिजर्व की पारिस्थिक तंत्र को मजबूती मिलेगी और अन्य वन्यजीवों को प्राकृतिक रूप से विकसित होने में सहायता मिलेगी, जून से पहले पूरा हो जाएगा सर्वेक्षण।
सर्वेक्षण में रिजर्व का पर्यावरण अनुकूल पाया गया तो गौर को सतपुड़ा और पेंच टाइगर रिजर्व से लाकर बसाया जाएगा। इन दोनों अभ्यारण्यों में गौर की अच्छी संख्या मौजूद है। इसके अलावा, अलग-अलग क्षेत्रों के गौर लाने से जीन मिक्सिंग भी सुनिश्चित होगी।
- वीडीटीआर का पर्यावरण गौर के प्राकृतिक आवास के लिए उपयुक्त है
- रिजर्व में ऐसे शिकारी जीव मौजूद हैं, जो गौर के लिए खतरा बन सकते हैं
- यहां सालभर पर्याप्त घास, पत्तियां और जल स्रोत उपलब्ध रहते हैं
- गौर व स्थानीय ग्रामीणों के बीच टकराव का खतरा है
- रिजर्व प्रशासन गौर की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है
गौर घने जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों और घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं। टाइगर रिजर्व में नरसिंहपुर जिले का डोंगरगांव क्षेत्र इसके लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। यहां पर्याप्त जल स्रोत, बांस के पेड़ और घास के मैदान मौजूद हैं, जो गौर के प्राकृतिक आवास के लिए आदर्श साबित हो सकते हैं।
एए अंसारी, डिप्टी डायरेक्टर, वीडीटीआर