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दमोह

पचमढ़ी की तर्ज पर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने जल्द दिखेंगे भारतीय बायसान

बुंदेलखंड में पहली बार बसाए जा रहे बायसन, देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की विशेष टीम जल्द करेगी सर्वे दमोह. पचमढ़ी की तर्ज पर जल्द ही वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व (वीडीटीआर) में गौर (भारतीय बाइसन) देखने को मिलेंगे। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के […]

दमोहFeb 19, 2025 / 01:39 am

हामिद खान

पचमढ़ी की तर्ज पर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने जल्द दिखेंगे भारतीय बायसान

पचमढ़ी की तर्ज पर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में पर्यटन को बढ़ावा देने जल्द दिखेंगे भारतीय बायसान

बुंदेलखंड में पहली बार बसाए जा रहे बायसन, देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की विशेष टीम जल्द करेगी सर्वे

दमोह. पचमढ़ी की तर्ज पर जल्द ही वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व (वीडीटीआर) में गौर (भारतीय बाइसन) देखने को मिलेंगे। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञों टीम जल्द ही रिजर्व में सर्वेक्षण करेगी। यहां घास के बड़े बड़े मैदान हैं, जो गौर के लिए अनुकूल बताए जाते हैं।
वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को मिलेगा बढ़ावा
रिजर्व प्रबंधन के अनुसार, गौर को लाने की योजना वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। गौर भारत का सबसे बड़ा जंगली मवेशी है और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गौर के आने से रिजर्व की पारिस्थिक तंत्र को मजबूती मिलेगी और अन्य वन्यजीवों को प्राकृतिक रूप से विकसित होने में सहायता मिलेगी, जून से पहले पूरा हो जाएगा सर्वेक्षण।
सतपुड़ा और पेंच से लाए जाएंगे गौर
सर्वेक्षण में रिजर्व का पर्यावरण अनुकूल पाया गया तो गौर को सतपुड़ा और पेंच टाइगर रिजर्व से लाकर बसाया जाएगा। इन दोनों अभ्यारण्यों में गौर की अच्छी संख्या मौजूद है। इसके अलावा, अलग-अलग क्षेत्रों के गौर लाने से जीन मिक्सिंग भी सुनिश्चित होगी।
इन बिंदुओं पर होगा सर्वेक्षण:

  • वीडीटीआर का पर्यावरण गौर के प्राकृतिक आवास के लिए उपयुक्त है
  • रिजर्व में ऐसे शिकारी जीव मौजूद हैं, जो गौर के लिए खतरा बन सकते हैं
  • यहां सालभर पर्याप्त घास, पत्तियां और जल स्रोत उपलब्ध रहते हैं
  • गौर व स्थानीय ग्रामीणों के बीच टकराव का खतरा है
  • रिजर्व प्रशासन गौर की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है
डोंगरगांव क्षेत्र रहेगा उपयुक्त
गौर घने जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों और घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं। टाइगर रिजर्व में नरसिंहपुर जिले का डोंगरगांव क्षेत्र इसके लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। यहां पर्याप्त जल स्रोत, बांस के पेड़ और घास के मैदान मौजूद हैं, जो गौर के प्राकृतिक आवास के लिए आदर्श साबित हो सकते हैं।
एए अंसारी, डिप्टी डायरेक्टर, वीडीटीआर

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