बता दें कि सिलापरी जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर रजपुरा के पास स्थित है। इस गांव की खूबसूरती सर्दियों के मौसम में और भी निखर जाती है। इस समय यहां कुदरत मेहरबान है। यहां के झरने, पहाडिय़ां और सुबह का अद्भुत नजारा लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। यहां की खासियत यह है कि सर्दियों के दौरान हल्की धुंध और सूरज की किरणें मिलकर इस स्थान को पूरी तरह प्राकृतिक वातावरण में बदल देती हैं। झरने के पास बैठकर शांति का अनुभव के बीच कई बार यहां वन्यजीवों का शोर रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
सिलापरी की प्राकृतिक वातावरण न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी नई पहचान का कारण बन रहा है। हालांकि अभी यह इलाका ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। यदि इस क्षेत्र का प्रचार-प्रसार और पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान दिया जाए, तो यह इलाका काफी लोकप्रिय हो सकता है। जिससे यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
यहां वन्यजीवों की भरमार सिलापरी के घने जंगल वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास हैं। यह इलाका पन्ना टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। लिहाजा यहां बाघ, हिरण और विभिन्न पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। हालांकि इनके संरक्षण को लेकर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सिलापरी में पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रयास होने चाहिए। ताकि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवों के आवास सुरक्षित रह सकें।