काली डूंगरी हनुमान मंदिर के संत अवधेशदास के सानिध्य में जनसहयोग से काली डूंगरी हनुमान मंदिर पर भव्य मंदिर निर्माण कार्य बीते करीब साढे चार सालों से अनवरत जारी है। अब यह कार्य लगभग आखरी दौर में पहुंच चुका है और करीब 200 वर्ग गज में यहां भव्य मंदिर आकार लेता हुआ नजर आ रहा है, जो कि लोगों के लिए खासा आकर्षण का भी केन्द्र बन गया है।
मंदिर निर्माण कार्य की शुरुआत के समय करीब 3 करोड़ रुपए की लागत का आंकलन किया गया था, लेकिन अब मंदिर आकार लेने के साथ ही लागत भी बढनी लगी है और इस पूरे कार्य में अब 5 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है।
लगभग 80 प्रतिशत तक कार्य पूरा हो चुका है। यह पूरा मंदिर मकराना के सफेद मार्बल पत्थर से बनाया जा रहा है और देश के कई प्रांतों से आए मजूदर इसके निर्माण में जुटे है। मार्बल पत्थर पर की गई बारीक नक्काशी ने मंदिर की खूबसूरती में चार चांद भी लगा दिए है। मंदिर के गर्भगृह में व बाहर थोड़ा काम बाकी रहा है।
जो कि आगामी छह माह में पूरा हो जाएगा और आगामी वर्ष फरवरी माह में श्रीराम जानकी धाम मंदिर के दसवें पाटोत्सव के मौके पर यहां हनुमान जी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराने का अनुमान है। संत ने बताया कि पूरे क्षेत्र के श्रद्धालुओं के जन सहयोग से यह मंदिर निर्माण किया जा रहा है।
भक्त की पुकार पर पहाड़ी से नीचे उतरे थे हनुमानजी
महंत अवधेशदास ने बताया कि डेढ सौ वर्ष पूर्व यहां हनुमान जी की प्रतिमा काली डूंगरी पहाड़ी पर मौजूद थी। निर्झरना गांव के निवासी चौबे परिवार की एक महिला भक्त प्रतिदिन पहाड़ी पर जाकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करती थी, जब महिला का बुढ़ापा आया और वह पहाड़ी पर चढऩे में परेशानी महसूस करने लगी तो एक दिन उसने हनुमान जी से प्रार्थना की कि वे पहाड़ी से नीच आ जाए,जिससे वह प्रतिदिन उनके दर्शन व पूजा अर्चना कर सके, अपनी भक्त की पुकार सुनकर हनुमानजी स्वयं नीचे चले आए और आज जिस स्थान पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है, वहां हनुमानजी की प्रतिमा स्वयं स्थापित हो गई। मंदिर पर करीब 25 वर्षो से अखण्ड रामायण पाठ जारी है व अखण्ड ज्योति जारी है।
आधारशिला के साथ ही संत अवधेशदास ने त्यागा अन्न
इस मंदिर से जुड़े कई भक्तों ने बताया कि करीब साढे चार पूर्व 23 फरवरी 2021 को जब हनुमान मंदिर के निर्माण कार्य की आधारशिला रखी थी, उसी दिन से संत अवधेशदास ने भी अन्न त्याग दिया और उसके बाद से ही फल आहार ही ले रहे है। श्रद्धालुओं ने बताया कि संत अवधेशदास का व्रत है कि मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही वे अन्न ग्रहण करेंगे।