बता दें कि मामले के खुलासे के बाद स्थानीय लोग हैरान रह गए कि उनके बीच एक खूंखार अपराधी रह रहा था। गुढ़ाकटला के आश्रम में अपनी पहचान छिपाकर संत दयादास महाराज बनकर देवेंद्र ऐशोआराम की जिंदगी जी रहा था। मंदिर में अपने निवास पर एसी, आरओ, वाटर कूलर, वाईफाई और सीसीटीवी आदि सभी सुविधा लगा रखा था।
अब लोग क्या कह रहे
लोगों को अब उसकी वे बातें याद आ रही हैं, जिससे उस पर शक किया जा सकता है। लोग उसे संत के साथ डॉक्टर मानकर उपचार कराने आते थे। पूर्व में क्लीनिक चलाने का अनुभव होने तथा आयुर्वेद की पढ़ाई के कारण उसे चिकित्सकीय जानकारी थी, जिससे वह लोगों को अपने जाल में फंसा लेता था।
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दिल्ली पुलिस के अनुसार, आरोपी टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था। वह टैक्सी बुक करता और फिर ड्राइवर की हत्या करने के बाद उसके शव को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों के लिए मशहूर हजारा नहर में डाल देता था। वहां पलक झपकते मगरमच्छ शवों को खा जाते थे, जिससे आरोपी के खिलाफ पुलिस को सुराग नहीं मिलते थे।
बड़े अपराध के लिए खोल रहा था वृद्ध आश्रम
देवेंद्र शर्मा उर्फ दयादास अपने अपराधिक षड्यंत्र के तहत गुढ़ाकटला कस्बे में वृद्ध आश्रम खोलने की योजना बना रहा था, जिसका उद्घाटन 25 तारीख को होना था। लेकिन उद्घाटन से पूर्व ही संत के वेश में छुपा अपराधी लोगों के सामने आ गया।
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सेवा-पूजा के बहाने रुका था मंदिर पर
कस्बे के बांदीकुई सड़क मार्ग पर स्थित रामेश्वरधाम मंदिर में सेवा पूजा के बहाने संत दयादास उर्फ देवेंद्र शर्मा रुका था। स्थानीय लोगों ने बताया, मंदिर पर पुजारी नहीं होने से स्थानीय लोगों को ही मंदिर की पूजा करनी पड़ती थी, जिसके चलते वे किसी पुजारी की तलाश कर रहे थे।