‘इस स्तर की हिंसा वहां कभी नहीं हुई’
रिटायर्ड मेजर जनरल शम्मी सभरवाल ने पहलगाम आतंकी हमले पर आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मैंने अपने सेवा करियर के दौरान जम्मू-कश्मीर में चार कार्यकाल बिताए, जिनमें जम्मू क्षेत्र में दो और कश्मीर में दो कार्यकाल में काम किया। मेरी सर्विस के दौरान साल 2000-2001 के बीच उग्रवाद चरम पर था, लेकिन उस समय भी पहलगाम शांत था। इस स्तर की हिंसा वहां कभी नहीं हुई। अगर आप गौर करें, तो पुलवामा 2019 में हुआ और अब यह 2025 में, छह साल के अंतराल के बाद हुआ है। उन छह वर्षों में कश्मीर घाटी शांतिपूर्ण रही, खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद वहां बदलाव आया था।”
‘देश के अंदर बैठे हैं कुछ देशद्रोही’
जनरल शम्मी ने आगे कहा, “मुझे दुख इस बात का है कि हमारे देश के अंदर कुछ देशद्रोही बैठे हैं और उन्होंने न्यायालय के माध्यम से स्थिति उत्पन्न की और कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराओ। मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। बीते साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर में नई सरकार आई और उसके कुछ महीनों बाद ही यह घटना घटित हो गई, इससे पहले ऐसा क्यों नहीं हुआ? दूसरी बात है कि इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका है और यह बात पूरी दुनिया जानती है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस इस समय भारत दौरे पर आए हुए हैं और इससे पहले जब भी कोई वीवीआईपी भारत दौरे पर आया है तो उस दौरान कहीं न कहीं खुराफात की गई है, ताकि भारत को नीचा दिखाया जा सके।”
‘चीन के समर्थन के बिना पाकिस्तान कुछ भी नहीं कर सकता’
शम्मी सभरवाल ने दावा करते हुए कहा, “इस घटना को पाकिस्तान ने अकेले अंजाम नहीं दिया है। उसे चीन से भी समर्थन मिला है और उसके समर्थन के बिना पाकिस्तान कुछ भी नहीं कर सकता है। हाल ही में अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लगाया है और वह इस बात को जानता है कि अगर उन्हें नुकसान होता है तो भारत को फायदा पहुंचेगा। चीन यह जानता है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आए हैं तो एक अच्छा वातावरण बनेगा और भारत की अमेरिका के साथ ट्रेड डील होने पर हमारे देश को बहुत ज्यादा फायदा होगा। मुझे लगता है कि चीन कहीं न कहीं हमें अप्रत्यक्ष धमकी दे रहा है कि भारत को अमेरिका के साथ नजदीकी नहीं बढ़ानी चाहिए। वरना, हम भी भारत को तंग करने की हिम्मत रखते हैं।”
Big Decision: 48 घंटे में भारत छोड़े पाकिस्तानी, रोका जाएगा सिंधु का पानी, CCS मीटिंग में PM मोदी के 5 बड़े फैसले शम्मी सभरवाल ने कहा कि हमें इतिहास से एक चीज सीखनी चाहिए कि पिछले तीन साल रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकल पाया है। ऐसा ही कुछ इजरायल और हमास के बीच भी चल रहा है। मगर, वहां भी नतीजा नहीं निकल पाया है। मैं यही कहूंगा कि एक अच्छे नेतृत्व में यह बात होनी चाहिए कि बिना अपनी फोर्स को लगाकर दुश्मन देश को नुकसान पहुंचाना चाहिए। हमारी अप्रोच यही होनी चाहिए कि अगर दुश्मन देश हमारे यहां घुसकर खुराफात कर रहा है तो हमें भी उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहिए।