पिछले 10 साल में यहां के दिव्यांग बच्चों ने 100 से अधिक मेडल हासिल किए हैं। इस आवासीय विद्यालय में दृष्टिबाधित, अस्थिबाधित, श्रवण बाधित और मानसिक दिव्यांगता वाले बच्चों को जीवन की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। दिव्यांग बच्चे भी अपनी प्रतिभा से हर साल मेडल ला रहे।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
एक्जेक्ट फाउंडेशन की स्थापना 4 सहेलियों ने किया। 2016 में कुरुद ब्लाक के डांडेसरा से शुरूवात हुई। दान में मिले भवन में दिव्यांग बच्चों का भविष्य गढ़ना शुरू किया। शुरू में यहां 16 बच्चे थे। वर्तमान में 45 बच्चे शिक्षा-दीक्षा ले रहे। चारों सहेलियों ने दिव्यांगों की
समस्याओं को करीब से जाना, क्योंकि वे खुद या उनके घर एक-दो दिव्यांग थे। संस्था की अध्यक्ष लक्ष्मी सोनी की भतीजी दिव्यांग हैं।
सहसचिव रूबि कुर्रे की बहन दिव्यांग हैं। उपाध्यक्ष देवश्री जोशी की बहन दिव्यांग है। सचिव शशि त्यागी खुद दिव्यांग है। इन चारों के अलावा बांकी पूरा स्टाफ
महिलाओं का है। प्राचार्य रेखा साहू, विशेष शिक्षक रेवती साहू, तन्नू साहू, रेखा फुटान, डाली हिरवानी, दीपांजलि साहू, योगा टीचर खिलेश्वरी निषाद, थैरेपिस्ट नेहा साहू, फीजियोथैरेपिस्ट लक्ष्मी, वार्डन मधु सोनकर, गायत्री नेताम, कुक केशर साहू, आया भुनेश्वरी सिन्हा है।
केशनाथ ध्रुव : उम्र 19 साल। दृष्टिबाधित होने के बावजूद अपना काम फूर्ति से कर लेता है। उपलब्धि : जानवर, पशु-पक्षि सहित सेलिब्रिटी की मिमिक्री कर लेता है। केशनाथ को कैलेंडर ब्वाय भी कहते हैं। जन्मदिन, सालगिरह किसी भी वर्ष हो सिर्फ तारीख बताने पर 50 सेकंड में उस तारीख का वार बता देता है।
वर्षा ध्रुव : उम्र 15 साल। इस आदिवासी बच्ची के दोनों हाथ नहीं है। एक्जेक्ट फाउंडेशन में अपना भविष्य गढ़ रही उपलब्धि : जो काम आम आदमी हाथ से न कर सके। वो ये पैर से कर लेती है। 10 मिनट में ही पैरों से दूसरों का चोटी बना लेती है। ठुड्डी, सिर में किताब और पैर में पेंसिंल लेकर चलती है। हैंडराइटिंग भी कमाल की है। आकर्षक पेंटिंग भी बना लेती है।
सेवती ध्रुव : उम्र 21 साल। 14 वर्ष की उम्र में खुद के नाखून से आंख की रेटिना पर ऐसा वार हुआ कि पूरा जीवन लो-विजन में कट रहा। उपलब्धि : एक्जेक्ट फाउंडेशन की ओर से पैरा जूड़ाें में खंभे गाड़ रही है। दो बार सेवती को राज्यपाल पुरस्कार मिल चुका है। 2017 में पैरा जूड़ों में नेशनल में गोल्ड मैडल हासिल की। 2018 में नेशनल में सिल्वर मैडल। 2019 में नेशनल में ब्रांज मैडल साथ ही 2019 में खेल अलंकरण का पुरस्कार भी ले चुकी है।
चंचल सोनी : उम्र 16 साल। एक पैर से दिव्यांग। बचपन में गांव वाले इसे डेढ़ गोड़ी पुकारकर चिढ़ाते थे। उपलब्धि : 2022 में दिव्यांग केटेगिरी में एवरेस्ट बेस कैम्प फतह की। 5364 मीटर पहाड़ चढ़कर वर्ल्ड रेकार्ड बनाई। सबसे कम उम्र की व्हील चेयर बास्केट बॉल खिलाड़ी का भी रेकार्ड है। 100 से अधिक मंचों में एक पैर से डांस कर लोगों को अपनी प्रतिभा दिखा चुकी है।